मुख्यमंत्री शनिवार को मंत्रालय में आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के न्यासी मंडल की दूसरी बैठक को संबोधित कर रहे थे। प्रमुख संत और न्यास सदस्य स्वामी अवेधशानंद गिरि महाराज, स्वामी परमात्मानंद सरस्वती महाराज, स्वामी चिदानन्दपुरी, स्वामी हरिब्रम्हेन्द्रानंद महाराज, मुकुल कानिटकर, स्वामी मित्रानंद, पद्मश्री वी.आर. गौरीशंकर एवं स्वामी वेदतत्वानंद उपस्थित थे। स्वामी स्वरूपानंद, चिन्मय मिशन, आस्ट्रेलिया और निवेदिता दीदी विवेकानंद केन्द्र कन्याकुमारी ने वुर्चअल भागीदारी की। इस मौके पर संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर ने इस प्रकल्प के संबंध में नागरिकों में उत्साह के प्रगटीकरण की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस प्रकल्प के पूरा होने के बाद ओंकारेश्वर के महत्व में और भी वृद्धि हो जाएगी। बैठक में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, एसीएस नर्मदा घाटी विकास आईसीपी केशरी, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी, प्रमुख सचिव और आयुक्त जनसंपर्क राघवेन्द्र कुमार सिंह, संचालक जनसंपर्क आशुतोष प्रताप सिंह और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
मध्यप्रदेश में स्टेच्यु ऑफ वननेस का निर्माण अकल्पनीय है- स्वामी अवधेशानंद
महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद ने कहा कि शंकराचार्य जी की दीक्षा भूमि और मध्यप्रदेश में स्टेच्यु ऑफ वननेस के निर्माण का कदम प्रेरक और अकल्पनीय है। यह विश्वव्यापी केन्द्र बनेगा। ओंकारेश्वर में शंकराचार्य जी की प्रतिमा की स्थापना और प्रकल्प के अन्य कार्यों के पूर्ण होने से सभी सम्प्रदायों और आचार्यों को जोड़ा जाना संभव हो जाएगा।
स्वामी परमात्मानंद ने कहा कि इस प्रकल्प से सभी जुडऩा चाहेंगे। मुख्यमंत्री चौहान की यह महत्वपूर्ण नेतृत्वकारी पहल है। स्वामी हरिब्रम्हेन्द्रानंद ने कहा कि यह केन्द्र दर्शनीय रहेगा, इससे जन-जन जुड़ेगा। स्वामी मित्रानंद ने कहा कि निश्चित ही यह अद्भुत कार्य हो रहा है। मुकुल कानिटकर ने कहा कि ओंकारेश्वर प्रकल्प के क्रियान्वयन से हम सभी धन्य हैं। वी.आर. गौरी शंकर ने कहा कि ओंकारेश्वर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को समस्त ज्योर्तिलिंग की अनुभूति प्राप्त होगी। स्वामी वेदतत्वानंद ने कहा कि ओंकारेश्वर की यात्रा के बाद शंकराचार्य जी के दर्शन को घर-घर पहुँचाने में सहयोग मिलेगा। आस्ट्रेलिया से वर्चुअल भागीदारी करते हुए स्वामी स्वरूपानंद ने कहा कि कार्यों की प्रगति जानकर हृदय में प्रसन्नता की हिलोर उठ रही है। कन्याकुमारी केंद्र से दीदी निवेदिता ने भी वर्चुअली हिस्सेदारी करते हुए कहा कि इस प्रकल्प के माध्यम से अद्वैत वेदांत से जन-जन को जोडऩे का अद्भुत कार्य हो रहा है।
महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद ने कहा कि शंकराचार्य जी की दीक्षा भूमि और मध्यप्रदेश में स्टेच्यु ऑफ वननेस के निर्माण का कदम प्रेरक और अकल्पनीय है। यह विश्वव्यापी केन्द्र बनेगा। ओंकारेश्वर में शंकराचार्य जी की प्रतिमा की स्थापना और प्रकल्प के अन्य कार्यों के पूर्ण होने से सभी सम्प्रदायों और आचार्यों को जोड़ा जाना संभव हो जाएगा।
स्वामी परमात्मानंद ने कहा कि इस प्रकल्प से सभी जुडऩा चाहेंगे। मुख्यमंत्री चौहान की यह महत्वपूर्ण नेतृत्वकारी पहल है। स्वामी हरिब्रम्हेन्द्रानंद ने कहा कि यह केन्द्र दर्शनीय रहेगा, इससे जन-जन जुड़ेगा। स्वामी मित्रानंद ने कहा कि निश्चित ही यह अद्भुत कार्य हो रहा है। मुकुल कानिटकर ने कहा कि ओंकारेश्वर प्रकल्प के क्रियान्वयन से हम सभी धन्य हैं। वी.आर. गौरी शंकर ने कहा कि ओंकारेश्वर आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को समस्त ज्योर्तिलिंग की अनुभूति प्राप्त होगी। स्वामी वेदतत्वानंद ने कहा कि ओंकारेश्वर की यात्रा के बाद शंकराचार्य जी के दर्शन को घर-घर पहुँचाने में सहयोग मिलेगा। आस्ट्रेलिया से वर्चुअल भागीदारी करते हुए स्वामी स्वरूपानंद ने कहा कि कार्यों की प्रगति जानकर हृदय में प्रसन्नता की हिलोर उठ रही है। कन्याकुमारी केंद्र से दीदी निवेदिता ने भी वर्चुअली हिस्सेदारी करते हुए कहा कि इस प्रकल्प के माध्यम से अद्वैत वेदांत से जन-जन को जोडऩे का अद्भुत कार्य हो रहा है।
ओंकारेश्वर प्रकल्प के लिए 58.30 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध –
प्रमुख सचिव संस्कृति शिवशेखर शुक्ला ने प्रेजेंटेशन में बताया कि ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर आचार्य शंकर की 108 फीट की बहुधातु प्रतिमा की स्थापना और अन्य कार्यों के लिए विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन बनाने के लिए वास्तुविद सलाहकार की नियुक्ति कर ली गई है। ओंकारेश्वर प्रकल्प के लिए 58.30 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध हुई है। पर्यटन विकास निगम को मैनेजमेंट और निर्माण एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है। आचार्य शंकर की प्रस्तावित निर्मितियों के अस्थाई प्रदर्शन के लिए मॉडल तैयार किया जा रहा है।
प्रमुख सचिव संस्कृति शिवशेखर शुक्ला ने प्रेजेंटेशन में बताया कि ओंकारेश्वर में नर्मदा तट पर आचार्य शंकर की 108 फीट की बहुधातु प्रतिमा की स्थापना और अन्य कार्यों के लिए विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन बनाने के लिए वास्तुविद सलाहकार की नियुक्ति कर ली गई है। ओंकारेश्वर प्रकल्प के लिए 58.30 हेक्टेयर भूमि उपलब्ध हुई है। पर्यटन विकास निगम को मैनेजमेंट और निर्माण एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है। आचार्य शंकर की प्रस्तावित निर्मितियों के अस्थाई प्रदर्शन के लिए मॉडल तैयार किया जा रहा है।
परिसर में कई दर्शनीय स्थान होंगे –
ओंकारेश्वर में प्रकल्प के क्रियान्वयन में जो प्रमुख कार्य होंगे उनमें अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान का निर्माण, संस्थान में सात केन्द्र जो स्कूल के रूप में कार्य करेंगे, शामिल हैं। अद्वैत वेदांत संस्थान अंतर्राष्ट्रीय शोध केन्द्र और समन्वय केन्द्र के रूप में कार्य करेगा। केन्द्र का मुख्य द्वार जगन्नाथ पुरी मंदिर के द्वार को अभिव्यक्त करेगा। कलात्मक शैली में निर्माण कार्य संपन्न होंगे। ओंकारेश्वर में किए गए कार्यों के फलस्वरूप टेंपल टाउन की छवि विकसित होगी। परिसर में कई दर्शनीय स्थान होंगे। पर्यटक और श्रद्धालु विभिन्न गतिविधियों में भी हिस्सा ले सकेंगे। एक गुरुकुल भी बनेगा। बैठक में एक लघु फिल्म भी दिखाई गई, जिसमें इस प्रकल्प में अब तक के अहम पड़ाव की जानकारी दी गई।
ओंकारेश्वर में प्रकल्प के क्रियान्वयन में जो प्रमुख कार्य होंगे उनमें अंतर्राष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान का निर्माण, संस्थान में सात केन्द्र जो स्कूल के रूप में कार्य करेंगे, शामिल हैं। अद्वैत वेदांत संस्थान अंतर्राष्ट्रीय शोध केन्द्र और समन्वय केन्द्र के रूप में कार्य करेगा। केन्द्र का मुख्य द्वार जगन्नाथ पुरी मंदिर के द्वार को अभिव्यक्त करेगा। कलात्मक शैली में निर्माण कार्य संपन्न होंगे। ओंकारेश्वर में किए गए कार्यों के फलस्वरूप टेंपल टाउन की छवि विकसित होगी। परिसर में कई दर्शनीय स्थान होंगे। पर्यटक और श्रद्धालु विभिन्न गतिविधियों में भी हिस्सा ले सकेंगे। एक गुरुकुल भी बनेगा। बैठक में एक लघु फिल्म भी दिखाई गई, जिसमें इस प्रकल्प में अब तक के अहम पड़ाव की जानकारी दी गई।