“दुधराज” के लिए अनुकूल वातावरण
दूधराज पक्षी अक्सर घने पेड़ वाले छेत्रों में रहना पसंद करते हैं। यह मोजूद घने बगीचें, तालाब, भोजन के लिए कीट-पतंगे, मक्खियां और तितलियां की भारी तदात दूधराज के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती हैं। अपको बता दें दुधराज को 1985 में मध्य प्रदेश का राज्य पक्षी घोषित किया गया था।
पेड़-पौधों की विविधता
पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष डा. विपिन व्यास ने बताया कि परिसर में पेड़ों की लगभग 74 प्रजातियों मौजूद हैं। इसमें रामफल, सप्तर्णी, अमलतास, चिरौंजी, नीम, कचनार, काठमूली, काटन ट्री, पलाश, शीशम, सफेद व काला सेरस, बरगद, पीपल, गम्हार, महुआ,आम, मूंगा, जंगली जलेबी, चंदन, जामुन, इमली,बेर, महानीम अर्जुन आदि सहित कई प्रजातियों के पेड़ शामिल हैं। परिसर में झाड़ियों और पर्वतारोही पौधे की लगभग 50 प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया गया है। इसके अलावा वनस्पतियों की 40 से अधिक प्रजातियां हैं।
पक्षी, तितलियों, ओडोनेट्स की विविधता
डा. व्यास ने बताया बीयू में पक्षियों की लगभग 86 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमे कई प्रवासी पक्षी भी हैं, जो हर साल यहां आते हैं। इसके अलावा परिसर मध्य प्रदेश के राज्य पक्षी “दुधराज” के साथ ही यहां बड़ी संख्या में राष्ट्रीय पक्षी मोर मौजूद हैं। इसके साथ ही कैंपस में करीब 29 तरह के ओडोनेट्स (किड़ों की प्रजाती) भी पाए जाते हैं, जो स्वस्थ इकोसिस्टम के अच्छे जैविक संकेतक होते हैं। साथ ही फायदेमंद शिकारी भी हैं क्योंकि वे हानिकारक मच्छरों और मक्खियों जैसे कीड़ों की आबादी को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। सबसे ख़ास बात की यह कीड़े पर्यावरण को भी मदद करते हैं, जिससे अन्य हानिकारक कीड़ों को मारने के लिए कीटनाशकों का उपयोग नहीं करना पड़ता है। इनमे सेनेगल गोल्डन डार्लेट, येल्लो बुश डार्ट, मार्श स्कीमर, मार्श ग्लाइडर, ग्रेनाइट घोस्ट आदि ओडोनेट्स की प्रजातियां मौजूद हैं। इसके अलावा लगभग 34 प्रकार की तितलियाँ हैं। जिनमें कॉमन लेपोर्ड, लाइम, कॉमन ग्रास येल्लो, पलाइन टाइगर, ब्लू टाइगर, ज़ेबरा ब्लू एवं अन्य प्रजातियों की तितलियाँ भी खूब फलफूल रहीं हैं।
परिसर में पानी का भंडार
जलासय को अधिक से अधिक बरकरार रखाने के लिए कई जगह पर प्राकृतिक जल निकासी को टैप किया गया है। परिसर में पानी के भंडार के लिए तीन स्टॉप डैम, तीन सतही जल निकायों और 17 तालाबों का भी निर्माण किया गया है। इन उपायों का स्पष्ट प्रभाव परिसर में समृद्ध बायोडायवर्सिटी और बारहमासी पौधों की हरियाली के रूप में देखा जा सकता है।
विश्वविद्यालय की पर्यावरण नीति
डा. व्यास के अनुसार विश्वविद्यालय की पर्यावरण नीति एक बड़ी योजना है जिसमें हवा, पानी, सॉइल, रसायन, भूमि, अपशिष्ट, जलवायु, जैव विविधता सहित हर पर्यावरणीय पहलू को शामिल किया गया है। इसके साथ ही पर्यावरण नीति का प्राथमिक उद्देश्य विश्वविद्यालय में स्वच्छ और हरित पर्यावरण को बनाए रखना और उसे लगातार बढ़ावा देना है।