शोध के नतीजों के साथ समाज में इस बात की स्वीकार्यता की जानकारी लेना भी जरूरी था। इसलिए मृतकों के परिजनों को इस शोध की जानकारी देकर 20 सवाल किए गए। करीब 70 फीसदी लोगों का मानना है कि इस शोध की जरूरत है, इससे कई परिवारों को मदद मिलेगी।
3 साल तक चलेगी रिसर्च
भोपाल एम्स देश का पहला संस्थान है, जहां इस तरह की रिसर्च हो रही है। तीन साल तक चलने वाली इस रिसर्च में मृत शरीर में जीवन की तलाश की जा रही है इसकी रिपोर्ट आईसीएमआर को सौंपी जाएगी। अब तक 60 डेड बॉडी पर रिसर्च किया जा चुका है इनसे मिले नतीजे उत्साहजनक हैं। हालांकि इसे फाइनल फाइंडिंग्स नहीं माना जा सकता। रिसर्च में कई और बिंदुओं पर जांच की जाएगी।
यह डॉक्टर शामिल
एम्स के फॉरेंसिक विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राघवेंद्र विदुआ, डॉ. अरनीत अरोरा और एडिशनल प्रोफेसर पैथोलॉजी डॉ. अश्वनी टंडन सहित दो जूनियर रिसर्च फैलो बीते एक साल से इस विषय पर रिसर्च कर रहे हैं।