मंडलम मकरविल्लकु के पहले दिन शहर के अयप्पा मंदिरों में फूलों से आकर्षक रंगोली और दीपमालाएं सजाई गई। इस दौरान पूरे मंदिर परिसर में दीपक जलाए गए और श्रद्धालुओं ने कतारबद्ध होकर पूजा अर्चना की और दर्शन किए। खास बात यह है कि इस पर्व में लोग सात्विक रहकर ही पूजा अर्चना करते हैं.
मकर संक्रांति तक चलता है पर्व
मलयाली समाज का यह प्रमुख पर्व होता है। 16 अथवा 17 नवम्बर से शुरू होकर यह उत्सव मकर संक्रांति तक चलता है। दोनों समय स्नान, अय्यप्पा स्वामी की पूजा की जाती है। कई लोग उपवास भी रखते हैं, कई श्रद्धालु सात दिन, कई 12 दिन तो कई 41 दिन का उपवास रखते हैं. केरल के प्रसिद्ध तीर्थ सबरीमाला के दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
नारायण मिशन में महागुरु पूजा और आराधना
नारायण मिशन गोविंदपुरा में मंडलम् मकर वर्णक महोत्सव मनाया गया। 41 दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव के तहत महागुरु पूजा की गई, इसके बाद विशेष आराधना पूजा भी की गई । शासन द्वारा कोविड-19 के मद्देनजर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मंडलम पूजा के पहले दिन लगभग 550 से अधिक भक्तों ने अपनी नक्षत्र राशि अनुसार भजन-कीर्तन किया।
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पिपलानी मंदिर में हुई आराधना
पिपलानी भेल स्थित अय्यप्पा मंदिर में मकरविल्लकु उत्सव के पहले दिन सुबह अष्ट दृव्यों से भगवान अयप्पा का अभिषेक किया गया। इसके बाद महागणपति होम, अन्नदानम कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके बाद शाम को मंदिर को दीपों से सजाया गया। विशेष रंगोली से मंदिर को सजाया गया। इस दौरान आरती, कर्पूरज्योति, पुष्पाभिषेक सहित अनेक कार्यक्रम हुए। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।