मौलाना मुफ्ती फय्याज़ आलम क़समी सा. के मुताबिक़, इस पाक महीने का पहला अशराह, यानि पहले दस दिन रहमत के होते हैं। दूसरा अशरा मग़फिरत के लिए ख़ास माना जाता है, इसके अलावा तीसरे अशरे की ख़ासियत होती है कि, वह अजाबे जहन्नुम से बचाता है, यानि इन तीनों अशरों में अगर इंसान इन तीनों अशरों की गवाही देकर अगर अपने रब से माफी मांगता है, या कोई ख्वाहिश रखता है, अल्लाह उसे पूरा करता है। बता दें कि, इन तीनों अशरों में सबसे आखरी अशरे यानि आख़री दस दिनों को ख़ास अहमियत दी गई हैं। इन दस दिनों में से पांच दिनों की रातों को भी ख़ास मुक़ाम हासिल है, मुफ्ती फय्याज़ आलम ने बताया कि, हदीस का मफूम है कि, इन पांच रातों का भी एक नाम हैं, जिन्हें ताख़ रातें कहते है। इन ताख़ रातों में में एक रात ऐसी भी छुपी है, जिसमें अपने रब की इबादत करना इतना ख़ास है, मानों हज़ार महीनो तक अपने रब की इबादत में वक्त बिता दिया हो और वह रात ऐसी भी है, कि अपने रब से जो भी मांग लिया जाए कम है। रमज़ान के महीने के आखरी अशरे से शुरु होने वाली ताख़ रात 21वीं, 23वीं, 25वीं, 27वीं और 29वीं शब (रात) को माना जाता है। इन्हीं रातों में से एक रात लयलतुल कद्र की रात होती है, जिस ख़ास रात के बारे में मेने आपको अभी बताया।
बता दें कि, आख़री अशरे की उन क़ीमती रातों में से तीन रातें तो गुज़र चुकी हैं, लेकिन अभी दो रातें आना बाक़ी है, जिसमें मुसलमान अपने रब से बड़ी कसरत के साथ इबदत करने में मशग़ूल हैं। जो तीन ताख़ रातें अब तक गुज़र चुकी हैं, उनमें 21वीं, 23वीं, 25वीं ताख़ रात शामिल है। वहीं अभी 27वीं और 29वीं शब आना बाक़ि है। यानि अब सिर्फ शबे कद्र (कद्र करने वाली रात) की दो रातें बाकि है, हालांकि अब तक किसी भी इंसान को नहीं पता कि, वह ख़ास रात कोनसी है, जिसे लयलतुल कद्र के नाम से जाना जाता है, मुसलमान को सिर्फ इतना ही पता है कि, इन पाचं रातों में से किी एक रात में नो ख़ास रात छुपी है, जिसमें अल्लाह की इबादत करने से एक हजार महीनों से ज्यादा की इबादत करने का सवाब मिलता है। शबे कद्र की फजीलत व ताक रातों की अहमियत बताते हुए उन्होंने कहा कि 29वीं रात लयलतुल जायज है। इसमें अल्लाह अपने बंदों की हर जायज दुआ को कुबूल फरमाता है। कुराने मजीद में शबे कद्र से संबंधित आयत में तीन बार लयलतुल कद्र आया है और लयलतुल कद्र में नौ हुरूफ हैं। इसलिए नौ को अगर तीन से गुणा करेंगे तो संख्या आती है 27। इसलिए 27वीं शब को लयलतुल कद्र के तौर पर ज्यादा अहमियत दी जाती है।