ये रिपोर्ट इस विवाद को लेकर किसी मुकम्मल नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। दो महीने से ज्यादा समय गुजरने के बाद भी ये विवाद अभी अनसुलझा है। सूत्रों की मानें तो सोनिया गांधी ये जानना चाहती हैं कि आखिर प्रदेश में ऐसी राजनीतिक परिस्थितियां क्यों और कैसे बनीं जिसमें एक कैबिनेट मंत्री ने पार्टी के वरिष्ठ नेता पर खुलेआम आरोप लगाए। सोनिया गांधी इन सारे तथ्यों पर गहराई से जांच करा रही हैं। इस बात पर जांच की जाएगी कि कांग्रेस के अनुशासन और मूल्य आधारित राजनीति को तार-तार करने वाले इस विवाद के लिए कौन से हालात जिम्मेदार हैं। और क्या इन हालातों से प्रदेश और कांग्रेस पार्टी बाहर आ गई है।
ये है एंटोनी की रिपोर्ट में :
सोनिया गांधी को सौंपी गई इस रिपोर्ट में एंटोनी दिग्विजय और उमंग में से किसी को भी क्लीनचिट नहीं दी है। हालांकि उन्होंने इस विवाद का दोषी भी सीधे तौर पर किसी को नहीं ठहराया है। सूत्रों के अनुसार एंटोनी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उमंग सिंघार का खुलेआम आरोप लगाना गलत है,उनको अपनी बात पार्टी फोरम में रखना चाहिए थी लेकिन क्या उमंग ने जो मुद्दे उठाए हैं उन पर सवाल खड़े नहीं होते। भाजपा शासनकाल में सांठगांठ की जो बात कही गई है उसे क्या ऐसे ही नकारा जा सकता है। एंटोनी ने अपनी रिपोर्ट में दस बात की सिफारिश की है कि प्रदेश में पैदा हुए राजनीतिक हालातों की गहराई से पड़ताल होनी चाहिए। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और पूर्व केंद्रीय मंत्री शिवराज पाटिल इसकी जांच करेंगे।
इसलिए नाराज हैं सोनिया गांधी :
दस जनपथ की अंदरुनी राजनीति से जुड़े सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी इसलिए नाराज हैं क्योंकि उनको लगता है कि इस तरह के विवाद से पार्टी की विश्वासनीयता पर सवाल खड़े होते हैं। सोनिया गांधी ये संदेश भी देना चाहती हैं कि अनुशासन, आचरण और मूल्यों के इतर उनकी पार्टी में किसी के लिए कोई जगह नहीं है। रिपोर्ट के आधार पर या तो सोनिया गांधी कड़ा एक्शन ले सकती हैं या फिर सख्त हिदायत के साथ उनको माफी भी मिल सकती है।