लेकिन, कोई प्रतिकूल जवाब नहीं मिलने पर ईओडब्ल्यू ने विधिक राय लेने के बाद शुक्रवार को कार्रवाई की। छापे के दौरान ईओडब्ल्यू की टीम उस सेल में पहुंची जहां घोटाले से संबंधित दस्तावेज रखे हुए थे। उन्हें बकायदा जांच के लिए जप्त किया गया। छापे की सूचना मिलने के बाद दफ्तर में ढाई घंटे तक हड़कंप मचा रहा। इस मामले में ईओडब्ल्यू और स्मार्ट सिटी दोनों कार्यालय से आधिकारिक बयान जारी नहीं किए गए हैं।
क्या है मामला
स्मार्ट सिटी में कार्यों को लेकर भी घपले घोटाले हुए हैं, एक माह पहले ऐसा की एक मामला सामने आया था जो नगरीय प्रशासन से जुड़ा है। ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। आरोप आईएएस अधिकारी विवेक अग्रवाल पर लगे हैं। शिकायत में बताया गया है कि उन्होंने अपने बेटे वैभव अग्रवाल को स्मार्ट सिटी का ठेका दिलाया। विवेक अग्रवाल उस वक्त नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव हुआ करते थे। यह ठेका स्मार्ट सिटी में ब्रॉड बैंड को लेकर था। इसके लिए बीएसएनएल ने भी टेंडर में भाग लिया था। यह टेंडर 300 करोड़ रुपए में जारी किया गया। जबकि भाग लेने वाली बीएसएनएल कंपनी ने 250 करोड़ रुपए की रकम भरी थी। 50 करोड़ रुपए अधिक होने के बावजूद बीएसएनएल को ठेका नहीं मिला।
ऐसे खुली थी परतें
जानकारी के अनुसार टेंडर स्मार्ट सिटी के लिए डाटा सेंटर और डिजास्टर रिकवरी सेंटर बनाने के लिए किया गया था। इससे पहले पीडब्ल्यूसी और एचपीई कंपनी में करार हुआ था। विवेक अग्रवाल का बेटा वैभव पीडब्ल्यूसी कंपनी में ही सीनियर अधिकारी हैं। शिकायत में कहा गया है कि एचपीई कंपनी को स्मार्ट सिटी का कोई अनुभव नहीं हैं। इसके बावजूद कंपनी को काम करने का ठेका दे दिया गया। इसमें किसी भी एजेंसी ने आपत्ति भी नहीं उठाई।
शिकायत पर बवाल
यह शिकायत एक महीने पहले हुई थी। जिसमें डीजी ईओडब्ल्यू सुशोभन बनर्जी ने मीडिया को बयान दिया था। मीडिया में बयान आने के बाद आईएएस एसोसिएशन बनर्जी से नाराज हो गया था। डीजी के खिलाफ एसोसिएशन ने पत्राचार करके मीडिया में अपनी तरफ से प्रतिक्रिया दी थी। ठेके पर नियमानुसार कार्रवाई करने और आईएएस विवेक अग्रवाल के पक्ष में आईएएस एसोसिएशन खड़ा हो गया था। लेकिन, ताजा घटनाक्रम ने यह बता दिया है कि मामला इतनी आसानी से सुलझने वाला नहीं हैं। ईओडब्ल्यू इस मामले में परतें खंगालने के बाद निष्कर्ष के साथ अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक करेगा।