भोपाल

पितृ पक्ष 2019: श्राद्धों की समाप्ति के 41वें दिन जागेंगे भगवान विष्णु, उसी दिन से फिर शुरू होंगे विवाह

13 सितंबर से शुरु हुए पितृ पक्ष 28 सितंबर को होंगे समाप्त…

भोपालSep 16, 2019 / 08:02 pm

दीपेश तिवारी

पितृ पक्ष 2019: श्राद्धों की समाप्ति के 10 दिन जागेंगे भगवान विष्णु, उसी दिन से शुरू होंगे विवाह

भोपाल। पितरों की तृप्ति के लिए किए जाने वाले श्राद्ध यानि पितृ पक्ष ( Pitru Paksha 2019 ) या श्राद्ध पक्ष ( Shraddha Paksha 2019 ) इस वर्ष शुरू हो चुका है। ऐसे में अब कई प्रकार के शुभ कार्यों में रोक लग गई है।
इससे पहले अभी चल रहे चतुर्मास के तहत विवाह समेत अन्य मांगलिक कार्य वैसे ही रूके हुए थे, वहीं अभी विवाह पर श्राद्ध पक्ष में भी रोक जारी रहेगी। वहीं अब विवाह देवउठनी एकादशी यानि 8 नवंबर, 2019 ( शुक्रवार ) से शुरू होंगें।

पितरों को समर्पित अश्विन मास की भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विन माह की अमावस्या तक इसे मनाया जाता है। 16 दिनों के लिए पितृ घर में विराजमान होते है जोकि हमारे वंश का कल्याण करते है। इस बार पितृ पक्ष 13 सितंबर से शुरु हो चुके हैं जो कि 28 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या के साथ समाप्त होंगे।
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वहीं पितृ पक्ष ( Pitru Paksha 2019 ) में पितरों की तृप्ति के लिए किए जाने वाले श्राद्ध कर्म ( Shraddha karm ) के दौरान इन 16 दिनों में कोई भी मांगलिक कार्य जैसे विवाह, उपनयन संस्कार, मुंडन, गृह प्रवेश आदि वर्जित माने गए हैं।
यहां तक की श्राद्ध पक्ष में नई वस्तुओं की खरीद भी वर्जित है। अत: माना जाता है कि इन 16 दिनों में आपको नया मकान, वाहन आदि का क्रय नहीं करना चहिए। वहीं खास बात ये भी है कि ये पितृ पक्ष चातुर्मास के अंतर्गत आते हैं।
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क्यों वर्जित होते हैं शुभ कार्य…
पंडित सुनील शर्मा केे अनुसार श्राद्धपक्ष का संबंध मृत्यु से है इस कारण यह अशुभ काल माना जाता है। जैसे अपने परिजन की मृत्यु के पश्चात हम शोकाकुल अवधि में रहते हैं और अपने अन्य शुभ, नियमित, मंगल, व्यावसायिक कार्यों को विराम दे देते हैं, वही भाव पितृपक्ष में भी जुड़ा है।
पूरे चार माह बंद रहते हैं विवाह…
हिन्दू पंचांग के अनुसार चातुर्मास 4 महीने की अवधि है, जो आषाढ़ शुक्ल देवशयनी एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल देवउठनी एकादशी तक चलती है।

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हिन्दू धर्म में ये 4 महीने भक्ति, ध्यान, जप, तप और शुभ कर्मों के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। हालांकि इन 4 महीनों के दौरान विवाह समेत अन्य मांगलिक कार्य नहीं होते हैं।

दरअसल देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु 4 माह के लिए क्षीर सागर में शयन करते हैं, इसलिए इस अवधि में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश समेत अन्य शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं।
वहीं कार्तिक मास में आने वाली देवउठनी एकादशी पर जब भगवान विष्णु निंद्रा से जागते हैं, उसके बाद विवाह कार्य शुरू होते हैं। और इस बार देवउठनी एकादशी 8 नवंबर, 2019(शुक्रवार) को है।

अब चतुर्मास व पितृ पक्ष के बाद ये हैं इस साल यानि 2019 के विवाह मुहूर्त :

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