अध्यादेश क्यों
इससे पहले 26 दिसंबर को कैबिनेट ने ‘धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020’ विधेयक को मंजूरी दी थी। माना जा रहा था कि 28 दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को सदन में पेश किया जाएगा। लेकिन कोरोना वायरस के कारण सर्वदलीय बैठक में विधानसभा सत्र को स्थगित करने का फैसला किया गया। इस कारण अब सरकार इस विधेयक को अध्यादेश के माध्यम से लागू करने जा रही है।
इससे पहले 26 दिसंबर को कैबिनेट ने ‘धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020’ विधेयक को मंजूरी दी थी। माना जा रहा था कि 28 दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को सदन में पेश किया जाएगा। लेकिन कोरोना वायरस के कारण सर्वदलीय बैठक में विधानसभा सत्र को स्थगित करने का फैसला किया गया। इस कारण अब सरकार इस विधेयक को अध्यादेश के माध्यम से लागू करने जा रही है।
क्या है कानून में
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया था कि विधेयक के ड्राफ्ट के मुताबिक, गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज किया जाएगा। बिल के तहत, नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति का जबरन धर्म परिवर्तन, 50,000 रुपये का फाइन और 2-10 साल की न्यूनतम जेल की सजा देगा। कानून के तहत अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन के लिए संबंधित जिले के कलेक्टर को एक महीने पहले आवेदन देना होगा।
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया था कि विधेयक के ड्राफ्ट के मुताबिक, गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज किया जाएगा। बिल के तहत, नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति का जबरन धर्म परिवर्तन, 50,000 रुपये का फाइन और 2-10 साल की न्यूनतम जेल की सजा देगा। कानून के तहत अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन के लिए संबंधित जिले के कलेक्टर को एक महीने पहले आवेदन देना होगा।
धर्मांतरण कर शादी करने के लिए कलेक्टर के पास आवेदन देना अनिवार्य होगा। कानून में कुल 19 प्रावधान हैं, जिसके तहत अगर धर्म परिवर्तन के मामले में पीड़ित पक्ष के परिजन शिकायत करते हैं तो पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी। अगर किसी शख्स पर नाबालिग, अनुसूचित जाति/जनजाति की बेटियों को बहला फुसला कर शादी करने का दोष सिद्ध होता है तो उसे दो साल से 10 साल तक कि सजा दी जाएगी। अगर कोई शख्स धन और संपत्ति के लालच में धर्म छिपाकर शादी करता हो तो उसकी शादी शून्य मानी जाएगी।