वहीं प्राचीन मान्यता के अनुसार नवरात्रि में 9 दिनों तक माता दुर्गा के 9 स्वरूपों की आराधना करने से जीवन में ऋद्धि-सिद्धि ,सुख- शांति, मान-सम्मान, यश और समृद्धि की प्राप्ति शीघ्र ही होती है। माता दुर्गा हिन्दू धर्म में आद्यशक्ति के रूप में सुप्रतिष्ठित है तथा माता शीघ्र फल प्रदान करनेवाली देवी के रूप में लोक में प्रसिद्ध है। देवीभागवत पुराण के अनुसार आश्विन मास में माता की पूजा-अर्चना वा नवरात्र व्रत करने से मनुष्य पर देवी दुर्गा की कृपा सम्पूर्ण वर्ष बनी रहती है और मनुष्य का कल्याण होता है।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इस बार शुभ बेला सुबह 06:06 बजे से 07:26 बजे तक है। वहीं साथी अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:46 से 12:34 तक रहेगा। दोपहर में 12:06 से 03: 06 लाभ की बेला रहेगी। शुभ लाभ और अमृतवेला में घटस्थापना करने से भक्तों को मन की मुरादें पूरी होंगी। साथ ही इस बार रवि योग सर्वार्थ सिद्धि योग में मां भक्तों का मान सम्मान बढ़ाने के साथ ही उनकी इच्छा पूरी करेंगी।
इसके साथ ही दशहरा 30 सितंबर को है। इससे पहले 23 सितंबर तृतीया और 25 सितंबर पंचमी को रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा। 24 सितंबर चतुर्थी और 26 सितंबर सस्ति को सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा। वहीं 27 सितंबर व 29 सितंबर को दुर्गा नवमी को रवि योग बनेगा। नवरात्र की रात में हस्त नक्षत्र चंद्र और सूर्य कन्या राशि में भ्रमण करेंगे। यह योग व्यापारियों के लिए बहुत लाभ पहुंचाने वाला है।
2017 की शारदीय नवरात्रि की तिथियां :- 1- प्रथम नवरात्रि (प्रतिपदा), शैलपुत्री स्वरूप की पूजा – 21 सितंबर 2017, वृहस्पतिवार, 2- दूसरा नवरात्रि, चन्द्र दर्शन, देवी ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा – 22 सितंबर 2017, शुक्रवार
3- तृतीय नवरात्रि, सिन्दूर चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा – 23 सितंबर 2017, शनिवार 4- चतुर्थ नवरात्रि, कुष्मांडा स्वरूप की पूजा – 24 सितंबर 2017, रविवार 5- पंचमी नवरात्रि, स्कंदमाता की पूजा, वरद विनायका चौथ – 25 सितंबर 2017, सोमवार
6- षष्ठी नवरात्रि, कात्यायनी स्वरूप की पूजा – 26 सितंबर 2017, मंगलवार 7- सप्तमी नवरात्रि, कालरात्रि स्वरूप की पूजा – 27 सितंबर 2017, बुधवार 8- अष्टमी नवरात्रि, महागौरी स्वरूप की पूजा – 28 सितंबर 2017, वृहस्पतिवार
9- नवमी नवरात्रि, सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा – 29 सितंबर 2017, शुक्रवार – दशमी तिथि, दशहरा 30 सितंबर 2017, शनिवार इस नौ दिवसीय दुर्गोत्सव में “अष्टमी” के दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है तथा उस दिन उपवास व्रत के साथ-साथ कन्या पूजन का भी विधान है। कन्या पूजन नवमी के दिन भी किया जाता है।
यह भी माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति नौ दिनों तक पूजा करने में समर्थ नहीं है और वह माता के नौ दिनों के व्रत का फल लेना चाहता है तो उसे प्रथम नवरात्र तथा अष्टमी का व्रत करना चाहिए माता उसे मनोवांछित फल प्रदान करती है।
यह भी माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति नौ दिनों तक पूजा करने में समर्थ नहीं है और वह माता के नौ दिनों के व्रत का फल लेना चाहता है तो उसे प्रथम नवरात्र तथा अष्टमी का व्रत करना चाहिए माता उसे मनोवांछित फल प्रदान करती है।