सत्ता लोलुपता, अदूरदर्शिता की चपेट से मुक्त कोई भी राजनीतिक दल इस भारत में है ही नहीं। एेसी स्थिति में आगे के चुनाव को जीतने के लिए कोई भी दल हथकंडे अपनाता है और जो हथकंडे अपनाने होते हैं, उसके विशेषज्ञ होते हैं। वो सब उनको राय देते हैं, कहां वोट बैंक किसके हाथ में है। राजनेता कब संतों के भक्त हो जाते हैं, और कब संतों को पिटवा देते हैं, कब मंदिर को मस्जिद और मस्जिद को मंदिर बना दें, यह इनके बाएं हाथ का खेल है।
नर्मदा दूषित तो हमारा जीवन भी दूषित होगा
शंकराचार्य ने कहा कि नर्मदा नदी दूषित होगी तो हमारा जीवन भी दूषित होगा। नदियों को बांधकर, परियोजनाएं लाकर और करोड़ों रुपए खर्च कर उसे शुद्ध और निर्मल नहीं बना सकते। जैसे किसी को कैंसर हो, और भले ही उसे चमेली का तेल लगाकर सुगंधित रखा जाए, लेकिन बीमारी तो बीमारी है, इसी तरह नदियों को भी पवित्र रखना जरूरी है।
शंकराचार्य ने कहा कि नर्मदा नदी दूषित होगी तो हमारा जीवन भी दूषित होगा। नदियों को बांधकर, परियोजनाएं लाकर और करोड़ों रुपए खर्च कर उसे शुद्ध और निर्मल नहीं बना सकते। जैसे किसी को कैंसर हो, और भले ही उसे चमेली का तेल लगाकर सुगंधित रखा जाए, लेकिन बीमारी तो बीमारी है, इसी तरह नदियों को भी पवित्र रखना जरूरी है।
फिर नहीं आए केजरीवाल
शंकराचार्य ने चुटकी लेते हुए कहा कि हमारे पास दो बार अरविंद केजरीवाल आए। दोनों बार मुख्यमंत्री बने। एक बार जल्दी में इस्तीफा दे दिया, लेकिन अब मुख्यमंत्री बनने के बाद आते ही नहीं।
शंकराचार्य ने चुटकी लेते हुए कहा कि हमारे पास दो बार अरविंद केजरीवाल आए। दोनों बार मुख्यमंत्री बने। एक बार जल्दी में इस्तीफा दे दिया, लेकिन अब मुख्यमंत्री बनने के बाद आते ही नहीं।
चुनाव तक पीछा छूटना मुश्किल
बाबाओं को मंत्री बनाए जाने के बाद से ही भाजपा को इसका फायदा कम और नुकसान ज्यादा हुआ है। समाज के हर तबके से इसके खिलाफ कटाक्ष हुए हैं। और तो और संत-महात्माओं की ओर से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं रही। विशेषज्ञ कहते हैं कांग्रेस चुनाव तक इस मामले को छोडऩे के मूड में नहीं है।
बाबाओं को मंत्री बनाए जाने के बाद से ही भाजपा को इसका फायदा कम और नुकसान ज्यादा हुआ है। समाज के हर तबके से इसके खिलाफ कटाक्ष हुए हैं। और तो और संत-महात्माओं की ओर से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं रही। विशेषज्ञ कहते हैं कांग्रेस चुनाव तक इस मामले को छोडऩे के मूड में नहीं है।