शंकराचार्य ने कहा कि नर्मदा नदी दूषित होगी तो हमारा जीवन भी दूषित होगा। नदियों को बांधकर, परियोजनाएं लाकर और करोड़ों रुपए खर्च कर उसे शुद्ध और निर्मल नहीं बना सकते। जैसे किसी को कैंसर हो, और भले ही उसे चमेली का तेल लगाकर सुगंधित रखा जाए, लेकिन बीमारी तो बीमारी है, इसी तरह नदियों को भी पवित्र रखना जरूरी है।
शंकराचार्य ने चुटकी लेते हुए कहा कि हमारे पास दो बार अरविंद केजरीवाल आए। दोनों बार मुख्यमंत्री बने। एक बार जल्दी में इस्तीफा दे दिया, लेकिन अब मुख्यमंत्री बनने के बाद आते ही नहीं।
बाबाओं को मंत्री बनाए जाने के बाद से ही भाजपा को इसका फायदा कम और नुकसान ज्यादा हुआ है। समाज के हर तबके से इसके खिलाफ कटाक्ष हुए हैं। और तो और संत-महात्माओं की ओर से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं रही। विशेषज्ञ कहते हैं कांग्रेस चुनाव तक इस मामले को छोडऩे के मूड में नहीं है।