‘गाय को मिले माता का दर्जा’
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा गाय को माता का दर्जा मिलना चाहिए। गाय को पशु नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने अशोक चिन्ह और सिंगोल का हवाला भी दिया। अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि गौ संवर्धन करने के लिए संविधान कह रहा है, राज्य चिन्ह में चार चिन्ह हैं, शेर, हाथी, घोड़ा और बेल यानी नंदी… जब ये चिन्ह छपता है तो बेल और घोड़ा ही दिखाई देता है। इन 4 में से शेर, हाथी को नहीं मार सकते, तो गौवंश को कैसे काट सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे धर्म, संस्कृति का अपमान होने पर हम निकलकर सामने आए हैं। शंकराचार्य ने कहा कि चुनाव में सभी पार्टी वादा करती रहीं, लेकिन निभा कोई नहीं रहा है। यह भी पढ़ें
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‘भाजपा-कांग्रेस ने तोड़ा भरोसा’
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने भाजपा और कांग्रेस दोनों पर हमला बोलते हुए कहा कि बीजेपी-कांग्रेस दोनों ने भरोसा तोड़ा है। गाय की चर्बी कारतूस में होने के कारण आजादी का आंदोलन छिड़ा। महात्मा गांधी ने कहा था कि गाय का प्रश्न स्वराज से बड़ा है। कांग्रेस ने गाय बचाने के वचन दिए थे, बैलों की जोड़ी को अपना चुनाव चिन्ह बनाया, गाय के बछड़े को भी चुनाव चिन्ह बनाया, भरोसा करके धोखा खाया है। पूर्वोत्तर के राज्यों में बीजेपी ने कहा दिया, गाय का मांस खाना हमारी संस्कृति का हिस्सा है। लेकिन अब जो गौवंश बचाएगा उसे ही वोट देंगे।
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