राजधानी भोपाल से यह देवी दरबार महज 75 किलोमीटर दूर है। नवरात्र के चलते देश के अनेक प्रांतों से भी लोगों के आने का सिलसिला चल रहा है। इस मंदिर में 24 घंटे माता के दर्शन किए जा सकते हैं।
पहाड़ी पर चढ़ाई के तीन रास्ते
पहला रास्ताइस मंदिर पर पहुंचने के लिए भक्तों को 1400 सीढ़ियों का कठिन रास्ता पार करना पड़ता है। रास्ते में ही प्रसाद और फूलों की दुकानें भी लगी रहती है।
दूसरा रास्ता
मंदिर तक पहुंचने के लिए सरकार ने सड़क मार्ग भी बना दिया है। यहां खुद के वाहन से जाया जा सकता है। इसके लिए पहाड को काटकर तीन किलोमीटर लंबा घुमावदार रास्ता बनाया गया है।
मंदिर तक पहुंचने के लिए सरकार ने सड़क मार्ग भी बना दिया है। यहां खुद के वाहन से जाया जा सकता है। इसके लिए पहाड को काटकर तीन किलोमीटर लंबा घुमावदार रास्ता बनाया गया है।
तीसरा रास्ता
पहाड़ी पर चढ़ाई के लिए तीसरा रास्ता रोब-वे है। यह स्थान भी सीढ़ियों के पास ही है। जो लोग सीढ़ी से नहीं जा सकते, उनके लिए रोब-वे सुलभ साधन है। उड़नखटोले पर बैठते ही 8-10 मिनट में माता के दरबार में पहुंचा जा सकता है।
पहाड़ी पर चढ़ाई के लिए तीसरा रास्ता रोब-वे है। यह स्थान भी सीढ़ियों के पास ही है। जो लोग सीढ़ी से नहीं जा सकते, उनके लिए रोब-वे सुलभ साधन है। उड़नखटोले पर बैठते ही 8-10 मिनट में माता के दरबार में पहुंचा जा सकता है।
रास्ते में लोग करते हैं सेवा
विजयासन देवी धाम के प्रति श्रद्धा ही है कि भोपाल तरफ से जाने वाले मार्ग पर औबेदुल्लागंज में ही श्रद्धालुओ की मदद करने के लिए स्थानीय लोग तैनात रहते हैं। इनमें अन्य धर्म संप्रदाय के लोग भी शिरकत करते हैं। यहां स्टाल लगाकर श्रद्धालुओं को फलाहार, फल, चाय, पानी का निशुल्क बंदोबस्त करते हैं।
विजयासन देवी धाम के प्रति श्रद्धा ही है कि भोपाल तरफ से जाने वाले मार्ग पर औबेदुल्लागंज में ही श्रद्धालुओ की मदद करने के लिए स्थानीय लोग तैनात रहते हैं। इनमें अन्य धर्म संप्रदाय के लोग भी शिरकत करते हैं। यहां स्टाल लगाकर श्रद्धालुओं को फलाहार, फल, चाय, पानी का निशुल्क बंदोबस्त करते हैं।
सबकी कुलदेवी है विजासन देवी
कई कुटुंब परिवार ऐसे हैं जिन्हें अपनी कुलदेवी के बारे में जानकारी नहीं हैं। उन सभी की कुलदेवी विजासन देवी हैं। विजासन देवी को विन्ध्यवासिनी देवी भी कहा जाता है। क्योंकि विंध्याचल पर्वत की देवी है।
कई कुटुंब परिवार ऐसे हैं जिन्हें अपनी कुलदेवी के बारे में जानकारी नहीं हैं। उन सभी की कुलदेवी विजासन देवी हैं। विजासन देवी को विन्ध्यवासिनी देवी भी कहा जाता है। क्योंकि विंध्याचल पर्वत की देवी है।
भक्तों के शरीर में आ जाती है ऊर्जा
यहां के पुजारी बताते हैं कि यहां आने वाला चाहे मंत्री हो या निर्धन व्यक्ति, सभी पर मां की असीम कृपा बरसती है। विजयासन देवी धाम के परिसर में आते ही भक्त अपना शरीर ऊर्जा और शक्ति से भरा हुआ महसूस करते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि यहां आने वाला कोई भी दर्शनार्थी खाली हाथ नहीं जाता।
यहां के पुजारी बताते हैं कि यहां आने वाला चाहे मंत्री हो या निर्धन व्यक्ति, सभी पर मां की असीम कृपा बरसती है। विजयासन देवी धाम के परिसर में आते ही भक्त अपना शरीर ऊर्जा और शक्ति से भरा हुआ महसूस करते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि यहां आने वाला कोई भी दर्शनार्थी खाली हाथ नहीं जाता।
मां पार्वती का अवतार
शास्त्रों में बताया गया है कि मां विजयासन देवी माता पार्वती का ही अवतार हैं, जिन्होंने देवताओं के आग्रह पर रक्तबीज नामक राक्षस का वध कर सृष्टि की रक्षा की थी।
सूनी गोद भरती हैं देवी
माता कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी का आशीर्वाद देती हैं। भक्तों की सूनी गोद भी भर देती हैं। भक्तों की ही श्रद्धा है कि इस देवीधाम का महत्व किसी शक्तिपीठ से कम नहीं हैं। इस क्षेत्र के ज्यादातर लोग विजयासन देवी को कुलदेवी के रूप में भी पूजते हैं।
Salkanpur Devi Mandir: विंध्याचल पर्वत पर विराजी हैं यह देवी, सबके लिए करती हैं न्याय