भोपाल

खुद को रखना है डायबिटीज़ से दूर, तो आज से ही डाइट में शामिल कर लें ये तेल

एक अध्ययन के अनुसार, सात करोड़ डायबिटीज़ के मरीजों की आबादी में भारत विश्व के टॉप तीन डायबिटीज़ पीड़ित देशों में से एक है। मध्य प्रदेश में भी ये बीमारी काफी तेजी से अपने पसार रही है। तिल के तेल के नियमित सेवन से डायबिटीज़ जैसी गंभीर बीमारी को करीब आने से रोका जा सकता है।

भोपालMay 30, 2019 / 03:32 pm

Faiz

खुद को रखना है डायबिटीज़ से दूर, तो आज से ही डाइट में शामिल कर लें ये तेल

भोपालः आमतौर पर सभी के घर में जैतून का तेल, रिफाइंड या देसी घी में खाने को तैयार किया जाता है। वहीं, साउथ के लोग नारियल के तेल में खाना बनाना प्रिफर करते हैं। दिल के मरीजों को डॉक्टर्स कम कोलेस्ट्रॉल और फैट वाला खाना खाने की सलाह देते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज़ को अगर रोकना हो, तो आपके लिए तिल के तेल में बना खाना सबसे ज़्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है।

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मध्य प्रदेश में काफी तेजी से बढ़ रहा है डायबिटीज के मरीजों का ग्राफ

मेडिकल पत्रिका लैंसेट के अध्ययन के अनुसार सात करोड़ डायबिटीज़ के मरीजों की आबादी में भारत विश्व के टॉप तीन डायबिटीज़ पीड़ित देशों में से एक है। मध्य प्रदेश में भी ये बीमारी काफी तेजी से अपने पसार रही है। तिल के तेल के नियमित सेवन से डायबिटीज़ जैसी गंभीर बीमारी को करीब आने से रोका जा सकता है। इस तेल को आप खाने के साथ इस्तेमाल कर सकते है। अकसर हेल्थ एक्सपर्ट्स कमजोर इम्यून सिस्टम के लोगों या मीठा खाने के शोकीन लोगों को खाने में तिल का तेल खाने की सलाह देते हैं।

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तिल के तेल के फायदे

राजधानी भोपाल के निजी अस्पताल में कार्यरत स्वास्थ विशेषज्ञ डॉ शिवपाल दिक्षित ने बताया कि, वैसे तो आजकल लोगों का फेथ दवाओं पर ही होकर रह गया है, लेकिन आयुर्वेद में तिल के तेल को बड़ी ख्याति प्राप्त है। डॉ. दिक्षित ने बताया कि, ज्यादा मीठा खाने का शौख रखने वाले या कमजोर इम्यून सिस्टम वाले व्यक्ति को तो अपना हर खाना तिल के तेल में बनाकर खाना चाहिए। इससे इस तेल के नियमित सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

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मध्य प्रदेश से तिल का बड़ा व्यापार

केएनजी एग्रो फूड के निदेशक सिद्धार्थ गोयल ने बताया कि, ‘देश में तिल के तेल का बाजार बहुत व्यापक है। विश्वभर में हर साल लगभग 30 लाख टन तिल का उत्पादन किया होता है, जिसमें भारत इसका 30 फीसदी से बड़ा उत्पादक है।’ इसमें मध्य प्रदेश को भी एक खास स्थान प्राप्त है। मध्य प्रदेश में तिल की सबसे ज्यादा खेती होती है। जानकारों की माने तो देशभर हो रही तिल के तेल की खेती का लगभग 7 फीसदी फसल एमपी में ही पैदा होती है। इसके बाद तिल की खेती महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में तिल की खेती सबसे ज़्यादा होती है। यहां तीन तरह के तिल, जिसमें पीले, लाल और काले शामिल हैं, खेती की जाती है।

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तिल में पाई जाती हैं ये खूबियां

मधुमेह विशेषज्ञ एवं चिकित्सक डॉ. अमरदीप सचदेव के अनुसार “तिल के तेल में विटामिन-ई और अन्य एंटीऑक्सिडेंट्स, जैसे लिगनैंस उच्च मात्रा में पाए जाते हैं। ये सभी तत्व टाइप-2 डायबिटीज़ के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। शोध के अनुसार, डायबिटीज़ से पीड़ित मरीज़, जो खराब कार्डियोवैस्कुलर सेहत और फ्री रेडिकल्स जैसी बीमारी से घिरे होते हैं, उन्हें तिल में पाए जाने वाले ऑक्सीडेंट्स सहायता करते हैं।

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इन बीमारियों पर भी कारगर है तिल

आपको जानकर हैरानी होगी कि, तिल एक ऐसा पौधा है, जो सूखने पर भी विकसित किया जा सकता है। तिल की यह खासियत इसे ‘उत्तरजीवी फसल’ बनाती है। तिल का तेल डायबिटीज़ के साथ खून में ग्लूकोज लेवल, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लिसराइड स्तर को घटाता है। कोलेस्ट्रॉल पर इसके प्रभाव के कारण यह स्वाभाविक है कि तिल का तेल, ऐसे रोगों को भी रोकता है, जो डायबिटीज़ से पीड़ित मरीजों में आम हैं, यानी अथेरोस्क्लेरोसिस और कार्डियोवेस्कुलर रोग।

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नोटः

ये लेख सामान्य जानकारी के लिए है। इसलिए इस लेख में दिए गए फेक्ट्स की पुष्टी पत्रिका नहीं करता।

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