कल मनाया था जन्मदिन
मोतीलाल वोरा ने कल ही अपना जन्मदिन मनाया था। लंबे समय तक कांग्रेस कोषाध्यक्ष रहे मोतीलाल वोरा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और उत्तरप्रदेश के राज्यपाल रह चुके रह चुके थे। मोतीलाल वोरा गांधी परिवार के बेहद करीबी थे। साल 2018 में बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने मोतीलाल वोरा से कोषाध्याक्ष की जिम्मेदारी लेते हुए अहमद पटेल को दी थी। बता दें कि हाल ही में अहमद पटेल का भी निधन हो गया है।
मोतीलाल वोरा ने कल ही अपना जन्मदिन मनाया था। लंबे समय तक कांग्रेस कोषाध्यक्ष रहे मोतीलाल वोरा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और उत्तरप्रदेश के राज्यपाल रह चुके रह चुके थे। मोतीलाल वोरा गांधी परिवार के बेहद करीबी थे। साल 2018 में बढ़ती उम्र का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने मोतीलाल वोरा से कोषाध्याक्ष की जिम्मेदारी लेते हुए अहमद पटेल को दी थी। बता दें कि हाल ही में अहमद पटेल का भी निधन हो गया है।
1985 में बने थे पहली बार सीएम
मोती लाल वोरा पहली बार 13 मार्च 1985 को मध्यप्रदेश के सीएम बने थे। 13 फ़रवरी 1988 तक वो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उसके बाद वो 25 जनवरी 1989 से 8 दिसंबर 1989 तक मध्यप्रदेश के दोबारा सीएम बने।
मोती लाल वोरा पहली बार 13 मार्च 1985 को मध्यप्रदेश के सीएम बने थे। 13 फ़रवरी 1988 तक वो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उसके बाद वो 25 जनवरी 1989 से 8 दिसंबर 1989 तक मध्यप्रदेश के दोबारा सीएम बने।
पत्रकार थे मोतीलाल वोरा
मोतीलाल वोरा का जन्म राजस्थान में हुआ पर सियासी धार मध्यप्रदेश में लगी। घर का खर्च चलाने के लिए पढ़ाई के बाद मोतीलाल वोरा मध्यप्रदेश में एक हिन्दी अखबार के पत्रकार बन गए। साइकल से चलते थे और अखबार के लिए खबरें भेजते थे। सियासत में दिलचस्पी बढ़ी तो प्रजा समाजवादी पार्टी से जुड़ गए। 1968 में दुर्ग (अविभाजित मध्यप्रदेश) से पार्षदी का चुनाव लड़ा जीत भी मिली। सियासत की असली चमक दिखी 1972 में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने थे। उस वक्त पूर्व सीएम द्वारका प्रसाद मिश्र दुर्ग में कांग्रेस के लिए नया उम्मीदवार खोज रहे थे। डीपी मिश्र ने संदेश भिजवाया। वोरा ने संदेश पर तुंरत सहमति जताई और खेमा बदलकर कांग्रेसी हो गए। चुनाव लड़ा जीत भी मिली और पहली बार विधानसभा पहुंचे।
मोतीलाल वोरा का जन्म राजस्थान में हुआ पर सियासी धार मध्यप्रदेश में लगी। घर का खर्च चलाने के लिए पढ़ाई के बाद मोतीलाल वोरा मध्यप्रदेश में एक हिन्दी अखबार के पत्रकार बन गए। साइकल से चलते थे और अखबार के लिए खबरें भेजते थे। सियासत में दिलचस्पी बढ़ी तो प्रजा समाजवादी पार्टी से जुड़ गए। 1968 में दुर्ग (अविभाजित मध्यप्रदेश) से पार्षदी का चुनाव लड़ा जीत भी मिली। सियासत की असली चमक दिखी 1972 में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने थे। उस वक्त पूर्व सीएम द्वारका प्रसाद मिश्र दुर्ग में कांग्रेस के लिए नया उम्मीदवार खोज रहे थे। डीपी मिश्र ने संदेश भिजवाया। वोरा ने संदेश पर तुंरत सहमति जताई और खेमा बदलकर कांग्रेसी हो गए। चुनाव लड़ा जीत भी मिली और पहली बार विधानसभा पहुंचे।