क्या लिखा सिंधिया ने?
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जो लिखा- 15वें वित्त आयोग अध्यक्ष एनके सिंह जी को पत्र लिखकर निम्न विकास कार्यों के लिए इस वर्ष के बजट में फंड आवंटित करने का अनुरोध किया था। चंबल नदी से ग्वालियर और मुरैना में पानी लाने के लिए प्रोजेक्ट, चंदेरी के बुनकरों का विकास। ग्वालियर-शिवपुरी-चंदेरी क्ष्रेत्र के पर्यटन में विकास और बाबा महाकालेश्वर मंदिर का अनुरक्षण। मुझे आशा है कि 1 फरवरी के बजट में, ग्वालियर चम्बल संभाग, उज्जैन, शिवपुरी,मुरैना व ओरछा के लिए इनकी स्वीकृति की सकारात्मक खबर आएगी और भविष्य में इन क्षेत्रों के विकास के नए द्वार खुलेंगे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जो लिखा- 15वें वित्त आयोग अध्यक्ष एनके सिंह जी को पत्र लिखकर निम्न विकास कार्यों के लिए इस वर्ष के बजट में फंड आवंटित करने का अनुरोध किया था। चंबल नदी से ग्वालियर और मुरैना में पानी लाने के लिए प्रोजेक्ट, चंदेरी के बुनकरों का विकास। ग्वालियर-शिवपुरी-चंदेरी क्ष्रेत्र के पर्यटन में विकास और बाबा महाकालेश्वर मंदिर का अनुरक्षण। मुझे आशा है कि 1 फरवरी के बजट में, ग्वालियर चम्बल संभाग, उज्जैन, शिवपुरी,मुरैना व ओरछा के लिए इनकी स्वीकृति की सकारात्मक खबर आएगी और भविष्य में इन क्षेत्रों के विकास के नए द्वार खुलेंगे।
सीएम ने भी की थी मांग
15 जनवरी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली दौरे में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने केन्द्रीय वित्त मंत्री से आग्रह किया कि बेहतर वित्तीय प्रबंधन के लिए राज्यों को एक प्रतिशत अतिरिक्त ऋण बाजार से उठाने की अनुमति दी जाए ताकि वित्तीय संकट और कोविड काल के समय विकास कार्यों की गति पर विपरीत प्रभाव न पडे़ और न ही जनकल्याण योजनाओं या अन्य विकास कार्यों में किसी प्रकार की रुकावट आयें।
15 जनवरी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली दौरे में केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने केन्द्रीय वित्त मंत्री से आग्रह किया कि बेहतर वित्तीय प्रबंधन के लिए राज्यों को एक प्रतिशत अतिरिक्त ऋण बाजार से उठाने की अनुमति दी जाए ताकि वित्तीय संकट और कोविड काल के समय विकास कार्यों की गति पर विपरीत प्रभाव न पडे़ और न ही जनकल्याण योजनाओं या अन्य विकास कार्यों में किसी प्रकार की रुकावट आयें।
मुख्यमंत्री चौहान ने बताया था कि मध्यप्रदेश को सोलह सौ करोड़ रुपये में से 660 करोड़ रुपये की राशि केन्द्र द्वारा स्वीकृत की गई थी जिसमें से अभी तक केवल 330 करोड़ रुपये राज्य को प्राप्त हुए हैं। शेष 330 करोड़ रुपये की राशि शीघ्र जारी की जाये ताकि शेष बचे हुए अधोसंरचना के कार्य 31 मार्च, 2021 तक पूरे किये जा सकें।