ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्मदिन आज: आइये जाने उनके महल से जुड़े कुछ खास रहस्य…
भोपाल। गुना के सांसद व कांग्रेस के दिग्गिज युवा नेता ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया का आज जन्मदिन है। वे 1 जनवरी 1971 को पैदा हुए थे, यानि आज वे 48 साल के हो गए हैं।
मध्यप्रदेश में इस बार बनी कांग्रेस सरकार में उनका मुख्य योगदान रहा, इसी के चलते उनके समर्थक करीब 7 विधायकों को मंत्री पद का दर्जा भी प्राप्त हुआ।
वे भारत में यूपीए सरकार के दौरान भी मंत्री रह चुके हैं। सिंधिया लोकसभा की मध्य प्रदेश स्थित गुना संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से सम्बंध रखते हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया मनमोहन सिंह के सरकार में केन्द्रीय मंत्री रहे हैं , वहीं उनके पिता दिवंगत माधवराव सिंधिया भी गुना से कांग्रेस के विजयी उम्मीदवार रहे थे।
उनके पिता 9 बार सांसद रहे जिन्होंने 1971 में पहली बार 26 साल की उम्र में गुना से चुनाव जीता था। वे कभी चुनाव नहीं हारे। उन्होंने यह चुनाव जनसंघ की टिकट पर लड़ा था। आपातकाल हटने के बाद 1977 में हुए आम चुनाव में उन्होंने निर्दलीय के रूप में गुना से चुनाव लड़ा था।
जनता पार्टी की लहर होने के बावजूद वह दूसरी बार यहां से जीते। 1980 के चुनाव में वह कांग्रेस में शामिल हो गए और तीसरी बार गुना से चुनाव जीत गए। 1984 में कांग्रेस ने अंतिम समय में उन्हें गुना की बजाय ग्वालियर से लड़ाया था। यहां से उनके सामने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी मैदान में थे। उन्होंने वाजपेयी को भारी मतों से हराया था।
वो महल जहां रहते हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया… ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर के राजसी परिवार से आते हैं, यहां इनका एक 140 साल पुराना महल ‘जय विलास पैलेस’ भी है। जिसके तकरीबन 40 कमरों को अब म्यूजियम बना दिया गया है। यह महल तकरीब 400 कमरों का है।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का आज बर्थडे है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री माधवराव और माधवीराजे सिंधिया के इकलौते पुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया पूरे देश में अलग पहचान रखते हैं। उनके जन्मदिन के खास मौके पर हम आपको उनकी जिंदगी से ज़ुड़े कुछ अनछुए पहलुओं से रूबरू करा रहे हैं। इसी क्रम में जानते हैं आखिर सिंधिया राजवंश के महाराजा का घर कैसे है। जानिए उनके आलिशान महल से जुड़े ये फैक्ट्स-
महल से जुड़े कुछ खास रोचक तथ्य… जय विलास पैलेस देश के खूबसूरत महलों में गिना जाता है, जिसका निर्माण 1874 में जीवाजी राव सिंधिया ने करवाया था, उस समय इसकी कीमत 1 करोड़ से थी। वहीं इसकी कीमत को कई जानकार तत्कालीन 200 मिलियन डॉलर भी बताते हैं।
इस महल का जिजाइन लेफ्टिनेंट कर्नल सर माइकल फिलोज द्वारा तैयार किया गया था। यह महल अब भी सिंधिया शाही परिवार के अधीन है। इस महल को बनाने में ब्रिटिश, भारतीय और इतावली शैली का प्रयोग किया गया है। यह महल वाकई काफी खूबसूरत है, जो पर्यटकों को काफी ज्यादा प्रभावित करता है।
यह एक विशाल महल है, जो 1,240,771 वर्ग फीट के क्षेत्र में फैला हुआ है। माना जाता है कि जिस वक्त इस महल का निर्माण किया गया था, तब इसकी कीमत 1 करोड़ थी, लेकिन आज इस विशाल और आकर्षक महल की कीमत अरबों में बताई जाती है।
इस महल का निर्माण इंग्लैंड के प्रिंस एडवर्ड-VII के स्वागत में बनाया गया था। इस खूबसूरत महल को देखकर नहीं लगता कि इस निर्माण मात्र किसी के स्वागत के लिए किया होगा। इस महल को फ्रांस के वर्साइल्स पैलेस की तरह बनाने का प्रयास किया गया था। महल को सजाने के लिए विदेश से कारीगरों को बुलवाया गया था।
हाथियों से नापी गई थी छत की मजबूती… इस महल में एक विशाल झूमर लगा हुआ है, बहुत कम ही लोग जानते हैं कि इस विशाल झूमर का वजन 3500 किलो का है। जो अपने आप में ही काफी अनोखा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि झूमर लगाने के लिए हाथियों की सहायता ली गई थी।
दरअसल हाथियों का इस्तेमला छत की मजबूती जाचंने के लिए किया गया था, जहां झूमर लगना था। इंजीनियरों ने छत पर 10 हाथियों को 7 दिनों तक खड़ा करके रखा था, जिसके बाद ही इस छत पर 3500 किलो वजनी झूमर को टांगा गया था।
चांदी की ट्रेन लाती है भोजन… इस विशाल महल में एक बड़ा डाइनिंग हॉल है, जिसमें एक बार में कई लोग बैठ कर खाना खा सकते हैं। इस इाडिनिंग हॉल का मुख्य आकर्षण चांदी की ट्रेन है, जिसका इस्तेमाल महमानों को भोजन परोसने के लिए किया जाता था। यह ट्रेन खाने के साथ-साथ मेहमानों का मनोरंजन भी करती थी। आज भी इस ट्रेन को यहां देखा जा सकता है।
महल में 400 कमरे… इस महल में कुल 400 कमरे में हैं, जिनमें से 40 कमरों को संग्रहालय के रूप में तब्दील कर दिया गया है। बाकी हिस्सों में सिंधिया परिवार रहता है। इस संग्रहालय को जीवाजी राव सिंधिया म्यूजियम नाम दिया गया है।
पर्यटक इस संग्रहालय का भ्रमण कर सकते हैं, और यहां मौजूद बेशकीमती वस्तुओं को भी देख सकते हैं। यह म्यूजियम बुधवार के दिन बंद रहता है। बाकी दिनों यह सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक खुला रहता है।
मोस्ट ब्यूटीफुल वुमंस में से है वाइफ- देश की सबसे बड़ी प्रिंसली स्टेट में से एक सिंधिया राजघराने से ताल्लुक रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया इंडियन पॉलिटिक्स में भी बड़े कद रखते हैं। उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको बता रहे हैं वे बातें, जो शायद ही जानते होंगे आप। वहीं दुनिया की मोस्ट ब्यूटीफुल वुमंस में शामिल हैं इनकी वाइफ…
आपको बता दें कि बड़ोदरा की राजकुमारी रहीं प्रियदर्शिनी राजे जो कि अब ग्वालियर की महारानी हैं, उन्हें अंग्रेजी की एक अंतरराष्ट्रीय महिला मैग्जीन ने देश की 50 सुंदर महिलाओं में शामिल किया था। सिंधिया के इस महल की ट्रस्टी ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी राजे सिंधिया हैं।
सोफिया कॉलेज की ग्रेजुएट प्रियदर्शिनी राजे जब दिल्ली में होती हैं तो वे एक राजनेता यानि ज्योतिरादित्य सिंधिया की पत्नी होती हैं, जबकि ग्वालियर आते ही वे रॉयल परिवार की महारानी बन ये जिम्मेदारी निभाती हैं।
वहीं पिता की हर बात को मानने वाले ज्योतिरादित्य ने इंग्लैंड में ऊंची तालीम लेने की पिता की इच्छा को नहीं माना। माधवराव सिंधिया अपने इकलौते बेटे को कैम्ब्रिज भेजना चाहते थे लेकिन बेटे को अमेरिका पसंद आ रहा था।
बेटे की चल गई और ज्योतिरादित्य ने हावर्ड और स्टेनफोर्ड से एमबीए किया। पढ़ाई के बाद अमेरिका में ही साढ़े चार साल लिंच, संयुक्त राष्ट्र न्यूयार्क और मार्गेन स्टेनले में काम का अनुभव लिया। बिजनेस और अर्थशास्त्र शुरू से ज्योतिरादित्य का पसंदीदा विषय रहा।
कहा जाता है कि ग्वालियर के लोग जब भी महारानी प्रियदर्शिनी राजे से मिलते हैं तो उन्हें यह अहसास बिल्कुल नहीं होता कि वे किसी रॉयल परिवार के साथ हैं। उनके पति ज्योतिरादित्य सिंधिया जब भी शिवपुरी-गुना संसदीय क्षेत्र में प्रचार करने जाते हैं, तो प्रियदर्शिनी राजे ग्रामीण परिवेश में ऐसे घुलमिल जाती हैं, जैसे वे यहीं पली-बढ़ी हैं।
दो बच्चों की मां हैं प्रियदर्शनी ग्वालियर की महारानी प्रियदर्शिनी दो बच्चों की मां हैं। उनके पुत्र महाआर्यामन और पुत्री अनन्या राजे हैं। महाआर्यामन इस समय अमरीका में उच्च शिक्षा ले रहे हैं और पुत्री अनन्या राजे दिल्ली में ही रहकर पढ़ती हैं।
सिंधिया राजवंश के ये प्रिंस सीख रहे राजनीति करने के गुर… सिंधिया राजवंश की नयी पीढ़ी राजनिति में आने को तैयार है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुत्र प्रिंस महाआर्यामन इन दिनों अमेरिका में उच्च शिक्षा लेने के साथ-साथ पॉलिटिकल ट्रेनिंग भी ले रहे है।
प्रिंस महाआर्यामन अभी अमेरिका के शिकागो की येल यूनीवर्सिटी में ग्रेजुएशन कर रहे हैं। इससे पहले उनकी स्कूली शिक्षा देहरादून के दून स्कूल से हुई है। आजादी के बाद से ही सिंधिया राजवंश का इतिहास रहा है कि यहां के वारिसों ने पहले एजूकेशन पूरी की और फिर राजनीति में आए।
माधवराव सिंधिया से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने विदेश में स्टडी पूरी की और फिर फुल टाइम राजनीति के मैदान में उतरे। महाआर्यामन की भी तैयारी ऐसी ही है। महाआर्यामन का जन्म 17 नवंबर 1995 को हुआ था। अब वे 21 साल के हो चुके हैं और जानकारी के अनुसार उनकी राजनीति से जुडऩे की ट्रेनिंग देने का जिम्मेदारी मां प्रियदर्शिनी राजे के पास है।
ऐसी थी सिंधिया स्टेट की करेंसी… राजशाही के दौरान ग्वालियर की सिंधिया स्टेट में अपनी खुद की करेंसी चलती थी। कॉपर, सिल्वर और एक समय सोने के सिक्के सिंधिया राजवंश जारी करता था। यही नहीं एक समय देश में पांच व 10 हजार के नोट भी प्रचलन थे। देश स्वतंत्र होने के पहले सिंधिया स्टेट एक बडी रियासत थी। इस रियासत की खुद की टकसाल थी, जिसमें सिंधिया महाराज अपने सिक्के व करेंसी तैयार करते थे।
सिंधिया राजवंश ने कॉपर से लेकर सिल्वर व कुछ राजाओं ने गोल्ड के सिक्के जारी किए। हालांकि पेपर करेंसी के रूप में ब्रिटिश सरकार के नोट इस्तेमाल की जाती है।
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