दुनिया के सबसे प्राचीनतम ‘ऋग्वेद’ में हवन के बारे में जो बताया उसे आज के वैज्ञानिक भी मानते हैं। यही कारण है पुरातनकाल से चली आ रही परंपरा को कुछ लोग आज भी निभा रहे हैं। भोपाल में ही सैकड़ों लोग हैं जो हर दिन शाम को हवन कर रहे हैं।
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गोविंदपुरा इंडस्ट्रीयल एरिया में रहने वाले सुभाष शर्मा भी उन लोगों में से हैं, जो इन दिनों हवन करके अपने घर के आसपास का वातावरण स्वच्छ करने में जुटे हैं। वे हर दिन एक समय पर हवन करते हैं और जड़ी-बूटियां, आम की लकड़ी, जौ, तिल, गुड़-घी समेत हर वो चीजें हवन में डालते हैं, जिनसे वातावरण स्वच्छ होता है। ऐसे हवन से ईर्द-गिर्द रहने वाले बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं।
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मित्रों को भी करते हैं प्रेरित
शर्मा अपने मित्रों को भी हर दिन हवन (havan) करने के लिए प्रेरित करते हैं। उनका कहना है इस हवन को हम धार्मिक दृष्टि से नहीं देखें और हर धर्म के लोग करें। क्योंकि इसका वैज्ञानिक आधार भी है। हवन हमारे और हमारे परिवार को ही स्वस्थ रखता है। हमारा मकसद वातावरण में मौजूद कीटाणु, बैक्टीरिया (bacteria) को खत्म करना है।
सुभाष शर्मा कहते हैं कि दुनिया के सबसे प्राचीन वेद ‘ऋग्वेद’ में भी इसका उल्लेख है। हमारे पूर्वजों ने हमें सोच-समझकर ही यह संस्कृति दी है। शर्मा का दावा है कि यदि हजारों लोग एक साथ हवन करेंगे तो निश्चित ही बारिश अच्छी होगी, हमारे आसपास के खेत कीटाणुमुक्त रहेंगे। इन बातों को रिसर्च में वैज्ञानिकों ने भी माना है।
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क्या कहता है रिसर्च
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