प्रदेश में अभी सभी कक्षाएं 50 फीसदी क्षमता से लगाई जाएंगी। इसमें शैक्षणिक स्टाफ को कम से कम बैक्सीन का एक डोज लगा होना जरूरी होना चाहिए। वहीं बच्चे अभिभावकों की सहमति से ही स्कूल जा सकेंगे।
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कोरोना के फिलहाल नियंत्रित रहने से निजी स्कूल संचालक लंबे समय से सभी कक्षाओं को लगाने की मांग कर रहे हैं। इसके तहत सीएम ने स्कूल शिक्षा पर बैठक कर अहम निर्णय लिया। अभी 9वीं से 12वीं तक की कक्षाएं 50% क्षमता से लग रही थीं।
फिलहाल छठवीं से 12 वी तक की कक्षाओं पर फैसला लिया गया है। लेंकिन 15 सितम्बर से पहली से पांचवीं तक की कक्षाओं को भी लगाया जा सकता है। प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार स्कलू संचालकों को इसकी सहमति दे चुके हैं। हालांकि पालक अभी सहमत नहीं हैं, क्योंकि तीसरी लहर आने की आशंका अभी बनी हुई है।
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50% क्षमता का फॉर्मुलायदि पहली से आठवी तक की कक्षाएं होती हैं तो वह भी शुरुआत में 50 फीसदी क्षमता लगेंगी। यानी हफ्ते में एक या दो दिन प्रति कक्षा को लगाया जाएगा। वहीं स्कूल प्रबंधन अभिभावकों के जोखिम पर ही बच्चों को बुलाएगे। हालांकि क्राइसेस मैनेजमेंट कमेटी के निर्णय के तहत ही स्कूल खोले जा सकेंगे।
अभी 9वी व 10वीं कक्षाए सप्ताह में एक-एक दिन और 11वीं व 12वीं कक्षाए सप्ताह में दो – दो दिन लग रही हैं लेकिन स्कूल ने अभिभावकों के जौखिम पर ही बच्चों को स्कूल भेजने का लिखित घोषणा-पत्र लाना अनिवार्य किया है। इस कारण अधिकतर अमिभावक बच्चों को नहीं भेज रहे है।
फिलहाल देश में बच्चों के लिए कोई वैक्सान नहीं है. उस पर अक्टूबर में प्रदेश मे तीसरी लहर आने की अशंका जताई जा रही है। हालांकि एक स्कूल संचालक का तर्क है कि अभी कारोना के केस ‘बहुत कम है। कहीं भी ज्यादा केस नहीं मिल रहे हैं। इस कारण स्कूल पूरी तरह खोले जाना चाहिए।
निजी स्कूल संचालक स्कूल शिक्षा मंत्री से मिलने पहुंचे थे। उन्होंने दो मांगें रखी, इनमें एक पहली से आठवीं तक की कक्षाएं शुरू करने की थी। दूसरी, नौंवी से बारहवीं तक की कक्षाएं हर दिन लगाने की मांग थी। मंत्री ने पहली से आठवीं तक की कक्षाए 1 या 15 सितंबर से शुरू करने की बात कही थी।