इसके तहत अब भस्म आरती के समय (Bhasm Arti time) महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) में आने वाले हर भक्त को भस्म आरती में शामिल होने का मौका मिल सकेगा। इसके लिए उन्हें न ही बुकिंग करनी होगी ना फॉर्म भरना होगा और किसी की अनुमति की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।
दरअसल उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर समिति ने निर्णय लिया है कि सावन के पहले सोमवार से भस्म आरती दर्शन के लिए चलित भस्म आरती (Chalit Bhasm Arti) की व्यवस्था एक बार फिर शुरू कर दी जाएगी। इसके दर्शन का लाभ मंदिर में आने वाले हर श्रद्धालु को मिल सकेगा।
श्रावण-भादौ मास में प्रचलित व्यवस्था के अनुसार अवंतिका द्वार से भस्म आरती में चलित दर्शन की व्यवस्था निर्धारित रहेगी। भस्म आरती के दौरान श्रद्धालु कार्तिकेय मण्डपम की अन्तिम तीन पंक्तियों से चलित भस्म आरती के दर्शन कर सकेंगे।
सावन में भस्म आरती का सही समय क्या है?
सावन के पहले सोमवार (Sawan first Somwar) 22 जुलाई से लेकर आखिरी सोमवार (Sawan Last Somwar) 2 सितम्बर तक भस्म आरती का समय बदला (Bhasm Arti Time Changed in Sawan Month) गया है। सावन और भादौ महीने में प्रतिदिन भगवान महाकालेश्वर की भस्म आरती के लिए प्रात:कालीन पट खुलने का समय भोर में 3 बजे से होगा। लेकिन प्रत्येक सोमवार को तड़के 2.30 बजे से भस्म आरती का समय रहेगा।
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पढ़ें महाकालेश्वर मंदिर समिति का पूरा फैसला
1- महाकालेश्वर मंदिर समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि श्रावण-भादौ मास की भस्म आरती में पंजीयनधारी श्रद्धालुओं के प्रवेश सम्बन्धी व्यवस्था मानसरोवर भवन एवं गेट-1 से निर्धारित रहेगी। दर्शन के बाद निर्गम द्वार या नवीन आपातकालीन निर्गम द्वार से श्रद्धालु बाहर की ओर प्रस्थान करेंगे। 2- श्रावण-भादौ मास में कांवड़ियों की बड़ी तादाद भगवान महाकाल को जल अर्पण करने के लिए पहुंचती है। कांवड़ यात्रियों को पूर्व-सूचना दिये जाने पर शनिवार, रविवार और सोमवार को छोड़कर गेट-4 से प्रवेश दिया जाएगा।
3- श्रावण-भादौ मास में बिना अनुमति भस्म आरती दर्शन 4- कांवड़ियों के लिए विश्रामधाम, रैम्प, सभा मण्डपम में जलपात्र से बाबा महाकाल को जल अर्पण करने की व्यवस्था निर्धारित रहेगी। गेट-1 के रास्ते फेसेलिटी सेन्टर-1, टनल के रास्ते मन्दिर परिसर, कार्तिक मण्डपम, गणेश मण्डपम से भगवान श्री महाकाल को जल अर्पण करेंगे।
5- ऐसे कांवड़ यात्री जो बिना किसी पूर्व सूचना के सीधे मन्दिर पहुंचते हैं अथवा शनिवार, रविवार, सोमवार को कावड़ लेकर आते हैं तो उन कांवड़ यात्रियों की दर्शन व्यवस्था सामान्य श्रद्धालुओं की तरह निर्धारित रहेगी।
6- कांवड़ यात्री कार्तिक मण्डपम में लगे जलपात्र से जल अर्पण करेंगे। श्रावण-भादौ मास में सामान्य दर्शन व्यवस्था त्रिवेणी संग्रहालय के समीप से नन्दी द्वार, महाकाल महालोक, मानसरोवर भवन, फेसिलिटी सेन्टर-1, टनल मन्दिर परिसर, कार्तिक मण्डपम, गणेश मण्डपम से होगी।
श्रद्धालु शंख द्वार से मानसरोवर भवन में प्रवेश कर फेसिलिटी सेन्टर-1 एवं टनल मन्दिर परिसर, कार्तिक मण्डपम, गणेश मण्डपम से दर्शन के बाद नवीन आपातकालीन निर्गम द्वार से सीधे बाहर के लिए प्रस्थान करेंगे।