राजगढ़ के मनीष विश्वकर्मा
जम्मू कश्मीर के बारामूला में आतंकी हमले में राजगढ़ जिले के खुजनेर निवासी जवान मनीष विश्वकर्मा 22 अगस्त 2020 को शहीद हो गए। 25 अगस्त को अंतिम संस्कार खुजनेर में किया गया। जिलेभर से लोग अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए खुजनेर पहुंचे थे। 22 वर्ष का यह युवा सवा साल पहले ही विवाह के बंधन में बंधा था। शहीद होने से चार दिन पहले ही मनीष ने फोन पर माता-पिता से बताया था कि वह बहुत जल्दी छुट्टी लेकर घर आने वाले हैं, लेकिन इससे पहले ही आतंकियों से मुठभेड़ में इस जांबाज ने अपनी जान न्यौछावर कर दी।
जम्मू कश्मीर के बारामूला में आतंकी हमले में राजगढ़ जिले के खुजनेर निवासी जवान मनीष विश्वकर्मा 22 अगस्त 2020 को शहीद हो गए। 25 अगस्त को अंतिम संस्कार खुजनेर में किया गया। जिलेभर से लोग अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए खुजनेर पहुंचे थे। 22 वर्ष का यह युवा सवा साल पहले ही विवाह के बंधन में बंधा था। शहीद होने से चार दिन पहले ही मनीष ने फोन पर माता-पिता से बताया था कि वह बहुत जल्दी छुट्टी लेकर घर आने वाले हैं, लेकिन इससे पहले ही आतंकियों से मुठभेड़ में इस जांबाज ने अपनी जान न्यौछावर कर दी।
इकलौती संतान थे धीरेंद्र
सतना जिले के पड़िया निवासी धीरेन्द्र त्रिपाठी सीआरपीएफ की 110 बटालियन लेथपुरा में पदस्थ थे। 5 अक्टूबर को पंपोर में आतंकियों ने हमला कर दिया था। इसमें धीरेंद्र शहीद हो गए। वे पिता रामकलेश की इकलौती संतान थे। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में पंपोर के कांधीजल ब्रिज पर सोमवार को सीआरपीएफ की 110 बटालियन और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान रोड ओपनिंग ड्यूटी (आरओपी) पर तैनात थे। उसी दौरान आतंकियों से मुठभेड़ में दो जवान शहीद हो गए थे।
सतना जिले के पड़िया निवासी धीरेन्द्र त्रिपाठी सीआरपीएफ की 110 बटालियन लेथपुरा में पदस्थ थे। 5 अक्टूबर को पंपोर में आतंकियों ने हमला कर दिया था। इसमें धीरेंद्र शहीद हो गए। वे पिता रामकलेश की इकलौती संतान थे। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में पंपोर के कांधीजल ब्रिज पर सोमवार को सीआरपीएफ की 110 बटालियन और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान रोड ओपनिंग ड्यूटी (आरओपी) पर तैनात थे। उसी दौरान आतंकियों से मुठभेड़ में दो जवान शहीद हो गए थे।
चीनी सैनिकों के साथ झड़प में छिन गया चिराग
रीवा जिले के फरेंदा गांव के रहने वाले दीपक सिंह गहरवार चीनी सैनिकों के साथ गलवान घाटी में हुई झड़प में 15 जून 2020 को शहीद हो गए। उनका पार्थिव शव 18 जून को गांव लाया गया, जहां हजारों लोग पहुंचे। दीपक की शादी नवंबर 2019 में हुई थी। शादी के बाद दीपक अपनी तैनाती के लिए रवाना हो गए थे। शहीद होने के 15 दिन पहले दीपक ने घर पर फोन करके पत्नी से कहा था कि घर वापसी के समय वे उसके लिए कश्मीरी शाल एवं कुछ गहने लेकर आएंगे। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
रीवा जिले के फरेंदा गांव के रहने वाले दीपक सिंह गहरवार चीनी सैनिकों के साथ गलवान घाटी में हुई झड़प में 15 जून 2020 को शहीद हो गए। उनका पार्थिव शव 18 जून को गांव लाया गया, जहां हजारों लोग पहुंचे। दीपक की शादी नवंबर 2019 में हुई थी। शादी के बाद दीपक अपनी तैनाती के लिए रवाना हो गए थे। शहीद होने के 15 दिन पहले दीपक ने घर पर फोन करके पत्नी से कहा था कि घर वापसी के समय वे उसके लिए कश्मीरी शाल एवं कुछ गहने लेकर आएंगे। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।