भोपाल

दीपावली पर स्वस्तिक बनाते समय इन नियमों का रखें खास ध्यान, नहीं तो….

स्वास्तिक मूल ब्रह्मांड का प्रतीक…

भोपालOct 23, 2018 / 12:56 pm

दीपेश तिवारी

दीपावली पर स्वस्तिक बनाते समय इन नियमों का रखें खास ध्यान, नहीं तो….

भोपाल। दीपावली हिन्दूधर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों मे से एक है। जिसे कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दौरान घर में लक्ष्मी के आने की मान्यता के चलते घरों की साफसफाई कर, कूड़े-कचरे आदि से मुक्त कर किया जाता है
यह त्यौहार प्रकाश का पर्व है इसके साथ अनेक धार्मिक, पौराणिक और वैज्ञानिक मान्यताएं भी जुडी हैं। वहीं शास्त्रों के अनुसार दीपावली पर लक्ष्मी पूजा के दौरान हमारे घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर शुभ-लाभ और स्वस्तिक का चिन्ह बनाया जाना चाहिए।
ऐसे पौराणिक मान्यता है कि ऐसा करने से शुभ पक्ष का आगमन शुरू हो जाता है और हमारे जीवन से जुड़े अशुभ पक्षों का खात्मा शुरू हो जाता है।

वहीं सिंदूर या कुमकुम से शुभ और लाभ लिखने के पीछे ऐसी मान्यता है कि इससे महालक्ष्मी सहित श्रीगणेश भी प्रसन्न होते हैं| यह इकलौता ऐसा पर्व है जिसमें भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की एक साथ अराधाना होती है।
शुभ लाभ और स्वस्तिक का महत्व
अक्सर हम देखते हैं घरों के पूजास्थल, दीवारों, बही आदि पर शुभ लाभ और स्वस्तिक के चिन्ह बनाए जाते हैं। लेकिन क्या हम यह जानते हैं कि इनका हमारे जीवन में क्या महत्व होता है।
जानकारों के अनुसार स्वस्तिक का हमारी भारतीय संस्कृति में बड़ा महत्व है, दीपावली में विघ्नहर्ता गणेश की उपासना धन, वैभव, और ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी के पूजन के साथ साथ शुभलाभ और स्वस्तिक के पूजन की परंपरा है।
यहां बनाएं स्वास्तिक का निशान…
पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि हिन्दुशास्त्रों के अनुसार स्वास्तिक का निशान घर के मुख्यद्वार पर बनाना ही सबसे अधिक लाभकारी होता है। इसके अलावा घर के पूजा स्थल यानि मंदिर के बीचों बीच जमीन पर भी स्वास्तिक का निशान बनाना चाहिए।
उनके अनुसार दरअसल स्वास्तिक को मंगलभावना और सुख सौभाग्य का द्योतक माना जाता है। इसे पौराणिक कथाओं में सूर्य और विष्णु का प्रतीक कहा गया है।

वहीं ऋग्वेद में स्वास्तिक के देवता सवृन्त का उलेख मिलता है, इसके अनुसार यह मनोवांछित फलदाता सम्पूर्ण जगत का कल्याण करने वाले और देवताओं को अमरत्व प्रदान करने वाले हैं।
स्वास्तिक को मूल ब्रह्मांड का प्रतीक बताया गया है, जिसके मध्यभाग को विष्णु की नाभि और चारों रेखाओं को ब्रह्मा जी के चार मुख चार हाथ और चार वेदों के रूप में निरुपित किया गया है।
वहीं वास्तुशास्त्र के अनुसार भवन के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक बनाकर शुभ-लाभ लिखने से घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है। शास्त्रों और वास्तु के अनुसार कई शुभ चिन्ह बताए गए हैं जो घर से सभी परेशानियों को दूर रखते हैं।
इन्हीं चिन्हों में स्वास्तिक ॐ, ॐ नमः शिवाय, श्री गणेश, श्री गणेशाय नम: आदि शामिल हैं। स्वस्तिक के साथ साथ ही शुभ-लाभ का चिन्ह भी सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है, इसके होने से नकारात्मक उर्जा का शमन होता है|
इसलिए स्वस्तिक के चिन्ह के साथ दीपावली…
घर-परिवार में शुभता का आगमन होता है और दुख और कष्ट का खात्मा होता है। वैसे तो इन शुभ प्रतीक के चिन्हों का इस्तेमाल कभी भी किया जा सकता है लेकिन दिवाली के मौके पर इसकी महत्ता बढ़ जाती और इसके फल में कई गुना वृद्धि हो जाती है।
इसलिए स्वस्तिक के चिन्ह के साथ ही दीपावली में घर के मुख्यद्वार पर सिन्दूर, रोली और चूना-हल्दी के मिश्रण से शुभ-लाभ लिखा जाता है। इसी कारण मुख्यद्वार पर स्वस्तिक बनाने व शुभ-लाभ लिखने की परंपरा बनाई गई है।
शास्त्रों के अनुसार श्री गणेश प्रथम पूजनीय हैं और शुभ व लाभ यानी शुभ व क्षेम को उनका पुत्र माना गया है। वहीँ स्वास्तिक श्रीगणेश का ही प्रतीक स्वरूप माना जाता है।

swastik for money
मान्यता है कि यदि स्वास्तिक चिन्ह को घर के मुख्य द्वार पर बनाया जाता है तो घर को बुरी नजर नहीं लगती है। साथ ही घर में रुपये-पैसे रखने के स्थान, तिजोरी में भी शुभ लाभ को स्वास्तिक के चिन्ह के साथ लिखा जाना धन धान्य से परिपूर्ण रखता है।

स्वास्तिक बनाते समय ना करें ये गलतिया? Swastik ik banane ke niyam …
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार गलत तरीके से बनाया गया स्वास्तिक न केवल परेशानी उत्पन्न करता है, बल्कि घर में दरिद्रता लाने के साथ ही यह आपके लिए अशुभ भी हो सकता है। अत: इस तरह की चीजों से बचने के लिए इन बातों का खास ख्याल रखें।
1. स्वास्तिक का निशान
स्वास्तिक का निशान कभी भी उल्टा नहीं बनाना चाहिए, जबकि बहुत से लोग यह गलती कर बैठते हैं। आपको बता दें, मंदिरों में उलटा स्वास्तिक बनाया जाता है, इसके अलावा किसी विशिष्ट मनोकामना पूर्ति के लिए भी उलटा स्वास्तिक बनता है।
2. टेढ़ा निशान
स्वास्तिक का निशान कभी भी टेढ़ा नहीं होना चाहिए, इसे एकदम सीधा और साफ बनाया जाना चाहिए। अन्यथा जिस मनोकामना की पूर्ति के लिए आप यह निशान बना रहे हैं, वह पूर्ण नहीं हो पाएगी।
3. घर या किसी अन्य स्थान पर, जहां भी आपने स्वास्तिक का निशान बनाना हो, एक बात का ध्यान अवश्य रखें कि वह जगह एकदम साफ-सुथरी और पवित्र होनी चाहिए।

4. हल्दी का स्वास्तिक
अगर विवाहित जीवन में आ रही परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए आप पूजा करवा रहे हैं तो उसमें हल्दी का स्वास्तिक बनाया जाता है। अन्य किसी भी पूजा या हवन में कुमकुम या रोली से ही स्वास्तिक का निशान बनाया जाता है।
ये भी है खास…
– स्वास्तिक का निशान हमेशा घड़ी की दिशा के अनुसार बनाना चाहिए यानि जिस प्रकार घड़ी की सुई का कांटा घूमता है, उसी प्रकार स्वास्तिक बनाना चाहिए।

– स्वास्तिक का मुंह हमेशा उत्तर की ओर होना चाहिए। इसका कारण यह है कि उत्तर दिशा को धन के देवता कुबेर की दिशा माना जाता है। इसलिए इस दिशा में स्वास्तिक बनाने से धन लाभ होता है।
– स्वास्तिक का निशान बनाने के लिए कुमकुम, हल्दी या चंदिन का ही इस्तेमाल करें। इन तीन के अलावा किसी और सामग्री से स्वास्तिक न बनाएं।

– स्वास्तिक का बॉर्डर बनाने के बाद इनके बीच चारों खाली जगहों पर चार बिंदी अवश्य बनाएं।

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