यह एशिया का सबसे बड़ा हम्माम है, जहां महिला और पुरुष के लिए अलग-अलग छह स्नानघर हैं। शाही हम्माम में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी स्नान कर चुके हैं। अरबी में हम्माम का शाब्दिक अर्थ है ‘गर्मी फैलाने वाला’। यह स्नानघर इस्तांबुल के सेम्बर्लिटस हम्माम की शैली में बना है। इतिहासकार बताते हैं नवाबों ने इस हम्माम को हज्जाम हम्मू खालिदा को उपहार में दिया था।
कॉपर की प्लेट से गुजरती है भाप
शाही हम्माम का संचालन भी शाही तरीके से होता है। खास तरह की लकडिय़ों को 24 घंटे जलाकर स्टीम तैयार की जाती है। स्टीम आने तक पानी को उबाला जाता है। जमीन में बिछी कॉपर की प्लेट से भाप गुजरती है। नीचे बनी सुरंग में आग जलाने से पूरा हम्माम गरम हो जाता है। जैसे-जैसे ठंडक बढ़ती है, हम्माम के अंदर की गर्मी भी मुताबिक बढ़ती जाती है। पहले व्यक्ति सामान्य तापमान के कमरे में जाता है फिर उसे गुनगुने पानी से नहलाया जाता है। भाप कक्ष यानी स्टीम रूम में 15 से 20 मिनट तक स्नान के बाद त्वचा पर विशेष तरह की मिट्टी से बनी घिसनी को रगड़ते हैं। अंत में विशेष प्रकार की जड़ी बूटियों से बने तेल से मालिश होती है।
स्नान के अनेक फायदे
कदीमी हम्माम की चौथी पुश्त के संचालक मो. अदीब बताते हैं, शाही हम्माम में स्नान से शरीर की सूक्ष्म नसें और रोमछिद्र खुल जाते हैं। इससे थकान दूर होती है, हड्डियों की प्राकृतिक सिंकाई से अंदरुनी दर्द दूर होता है। गठिया में आराम मिलता है और ब्लड सर्कुलेशन सही होता है और त्वचा में निखार आता है। अदीब कहते हैं, परिवार की युवा पीढ़ी को भी विशेष स्नान की कला सिखाई जा रही है ताकि धरोहर बरकरार रहे।