शहर में सड़कें अभी भी नहीं सुधरीं, एजेंसियों के दावे हैं झूठे
भोपाल. शहर के बाहरी क्षेत्र नीलबड़-रातीबड़ और आसपास से रोजाना 25 हजार से अधिक छात्र बस, मैजिक व खुद के वाहनों से जर्जर सड़कों में से आने-जाने को मजबूर हैं। यह हालत तब है,जब लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के तमाम अफसरों ने दो-दो मंत्रियों की मौजूदगी में इस रोड समेत शहरभर की सड़कों को सुधारने का दावा किया था। इसी तरह कलियासोत से नीलबड़ का रास्ता हो या नेहरू नगर, भदभदा, सूरज नगर की राह, सभी गड्ढों से पटी हुई हैं। इससे वाहन चालकोंं को पहुंचने में तय से 30 फीसदी समय अधिक लगता है। बारिश में खराब हो चुकी राजधानी की सड़कों की मरम्मत को लेकर पत्रिका की खबरों के बाद सरकारी एजेंसियों की नींद टूटी। उन्होंने काम शुरू किया, लेकिन अब तक 30 फीसदी भी नहीं सुधरीं। सड़क विकास प्राधिकरण बनाकर शहर की सड़कें उसके सुपुर्द करने का प्रस्ताव महापौर आलोक शर्मा ने दिया था। वित्त विभाग के साथ बैठक हुई। निगम के तत्कालीन अपर आयुक्त वीके चतुर्वेदी ने एजेंसियों के साथ बैठक की। सड़कों के वार्डवार नक्शे बनवाए, पर बाद में सब ठंडे बस्ते में चला गया।
सरकारी एजेंसियों की लापरवाही
कोलार रोड पर सर्वधर्म कॉलोनी से कलियासोत पुल और इससे आगे 500 मीटर का रास्ता जर्जर है। पीडब्ल्यूडी को इसे दुरुस्त करना था, पर नहीं किया। रोजाना एक लाख से अधिक लोग गुजरते हैं।
डीआईजी बंगला से करोंद तक पीडब्ल्यूडी के जिम्मे वाली 3 किमी की रोड जर्जर है। रोजाना डेढ़ लाख से अधिक लोगों की आवाजाही है।
भेल के गेट से लेकर अयोध्या बायपास और कोकता तक 12 किमी की रोड एमपीआरडीसी के जिम्मे है। ये स्टेट हाइवे हैं। यहां से रोजाना भारी वाहन गुजरते हैं। इस पर 30 से अधिक जगह गड्ढे हैं। यहां से निगम के कचरा वाहनों के साथ ही दो लाख लोग गुजरते हैं।
नगर निगम से भुगतान नहीं होने के कारण ठेकेदारों ने सड़क सुधार समेत अन्य काम पूरी तरह से रोक दिए हैं। इनकी 110 करोड़ की राशि बकाया है। ऐसे में निगम सीमा की अंदरूनी सड़कें तो पूरी तरह से गड्ढों में तब्दील हो चुकी है। कब तक सुधार शुरू होगा, किसी को नहीं पता। केंद्र व राज्य की मदद से जारी काम ही शहर में चल रहे हैं।
सीपीए ने सुधार के नाम पर लगाए पैबंद
सीपीए ने शाहपुरा, गुलमोहर समेत अन्य क्षेत्रों में सड़कों को दुरुस्त किया है, लेकिन घटिया काम हुआ। ऐसे में रहवासी सीपीए की सड़कों पर फैल रही बजरी से फिसल रहे हैं तो धूल से परेशान हो रहे हैं।
देखिए इनके बहाने
पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण यंत्री वीके आरक को नीलबड़-रातीबड़ क्षेत्र में सड़कों की मरम्मत करनी थी। मंत्रियों व अफसरों ने उन्हें काम जल्द पूरा करने को कहा, लेकिन नहीं कर पाए। उनका कहना है कि ठेकेदारों को मेंटेनेंस का कहा है।
नगर निगम के अपर आयुक्त कमल सोलंकी का कहना है कि निगम की सड़कें अंदरूनी हंै और ज्यादतर बेहतर हैं। ठेकेदारों से काम शुरू करने को कहा है। उन्हें पार्ट पैमेंट किए जा रहे हैं।
सीपीए के अधीक्षण यंत्री जवाहर सिंह का कहना है कि हमारी सड़कें काफी कम खुदी थीं। इनका डामरीकरण व सीमेंटीकरण कराया है। वे कहते हैं यदि पेचवर्क में कहीं गड़बड़ी हुई है तो उसे फिर से करवा दिया जाएगा।