भोपाल. मध्य प्रदेश में डायबिजीट के मामलों में बढ़ोतरी होने लगी है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, सबसे चितनीय स्थिति राजधानी भोपाल की बन रही है। यहाम डायबिटीज के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इसका मुख्य कारण गलत खान-पान और लोगों में बढ़ रहा तनाव है। क्योंकि, बीते कुछ सालों तक डायबिटीज की समस्या 40 से ऊपर के लोगों में ही देखी जाती थी। लेकिन, हालिया सालों में ये गंभीर समस्या सभी ऐज ग्रुप के लोगों में तेजी से बढ़ने लगी है। यहां तक कि, किशोरों और युवाओं में भी पहले की तुलना में डायबिटीज का खतरा अधिक बढ़ गया है। शोधकर्ताओं का मानना है कि, 2045 तक ये संख्या 134 मिलियन तक पहुंच सकती है।
डायबिटीज में कब क्या खाएं
डायटीशियन अन्नपूर्णा भटनागर बताती हैं कि, सुबह उठकर एक ग्लास मैथी दाना पानी या करेले का जूस पीना चाहिए। कुछ खाने के बाद चाय कॉफी ले सकते हैं। डायबिटीज में हर दो घंटे में कुछ न कुछ खाते रहना चाहिए। चाय के दो घंटे बाद अच्छे से ब्रेकफास्ट करें, जिसमें आधी कटोरी अंकुरित अनाज और एक गिलास दूध ले सकते हैं। इसके बाद करीब 10 बजे फल या कोई जूस ले सकते हैं। लंच में मिक्स आटे की 2 रोटी, एक कटोरी चावल, एक कटोरी दाल, एक कटोरी दही, आधी कटोरी सोया या पनीर की सब्जी, आधी कटोरी हरी सब्जी और साथ में एक प्लेट सलाद बदल बदलकर ले सकते हैं।
इसके बाद मिडमील में रोस्टेड चना और पीनट्स ले सकते हैं। जिन्हें शाम को चाय की आदत है, वे चाय और किसी को सूप पसंद है तो वो सूप ले सकते हैं। डिनर हमेशा सोने से तीन घंटे पहले कर लें, जिसमें दो रोटियां, एक कटोरी चावल (ब्राउन राइस हफ्ते में 2 बार), एक कटोरी दाल, आधी कटोरी हरी सब्जी और एक प्लेट सलाद लें और सोने से पहले एक गिलास दूध पिएं ऐसा करने से अचानक रात में शुगर कम होने का खतरा नहीं रहता। लंच और डिनर करने के बाद 15 मिनट जरूर टहलें इससे डायबिटीज में मदद मिलती है।
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खान – पान में इन चीजों को करें शामिल
डायबिटीज में दो तरह के कार्वोहाइड्रेड होते हैं। एक शुगर और आलू जिसे कम खाना चाहिए। दूसरा कार्वोहाइड्रेड प्लांट्स वेस्ट चीजो में मिलता है। उसे ज्यादा खाएं, जिसमें रेशे वाली सब्जियां मटर, फलिया, गोभी, भिंडी, पालक, हरी पत्ते दार सब्जियां, फल सहित छिलके वाली दालें अपने रुटीन में शामिल करनी चाहिए, जो आपके वेट और शुगर को मेंटेन रखेगी।
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बच्चों में क्यों बढ़ रहा डायबिटीज का खतरा
डायबिटीज दो टाइप की होती है टाइप 1 और टाइप 2। टाइप 1 डायबिटीज पहले 40 साल के ज्यादा उम्र की महिलाओं को होती थी, लेकिन अब ये बिमारी बच्चों में भी देखने को मिल रही है, जिसका पहला कारण जेनेटिक रीजन और दूसरा जब कोई महिला प्रेंग्नेंट होती है और उसे डायबिटीज होती है तो बच्चों में रहने का खतरा ज्यादा होता है। इस समय बच्चों में टाइप टू डायबिटीज भी ज्यादा देखने को मिल रही है। इसका कारण बच्चों में बढ़ते फास्टफूड, सॉफ्ट ड्रिंक और कम एक्सरसाइज है। क्योंकि एक्सरसाइज न करने की वजह से बच्चों का वेट बढ़ रहा है, जो डायबिटीज का कारण बन रहा है।
घर बैठे आसान हुई डायबिटीज की जांच
डायटीशियन अन्नपूर्णा भटनागर बताती हैं कि पिछले 10 सालों में डायबिटीज को लेकर कई इनोवेशन हुए हैं, जिससे जांच करना आसान हो गया है। अब बार-बार डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं है। अब बाजारों में इंसुलिन पंप, इंसुलिन पेन के अलावा भी की कई सारे गैजेट्स हैं, जिससे घर बैठे जांच कर सकते हैं।