एमएलए रेस्ट हाऊस स्थित कात्यायनी शक्तिपीठ श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। इस मंदिर के जीर्णोद्धार की कवायद लंबे समय से चल रही थी। इसके लिए प्रस्ताव आदि तैयार कर पिछले साल इस मंदिर के निर्माण कार्य के लिए भूमिपूजन भी कर दिया गया था। अब इसका निर्माण कार्य भी अगले माह शुरू कर दिया जाएगा। आने वाले दो सालों में इसे पूरी तरह आकार दिए जाने का लक्ष्य रखा गया है। मंदिर निर्माण की लागत तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपए आएगी, जबकि पूरे परिसर का निर्माण कार्य पर तकरीबन साढ़ पांच करोड रुपए खर्च होंगे। यह मंदिर परिसर 22 हजार 500 वर्गफीट में बनकर तैयार होगा।
अयोध्या का राम मंदिर का नक्शा बनाने वालों ने तैयार किया नक्शा
इस मंदिर से जुड़े सेवकों का कहना है कि इस मंदिर का जो नवनिर्माण किया जा रहा है, उसका नक्शा उन्हीं आर्किटेक्ट ने तैयार किया है, जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर का नक्शा तैयार किया है। सोमपुरा वालों ने इस मंदिर का नक्शा तैयार किया है।
इस मंदिर से जुड़े सेवकों का कहना है कि इस मंदिर का जो नवनिर्माण किया जा रहा है, उसका नक्शा उन्हीं आर्किटेक्ट ने तैयार किया है, जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर का नक्शा तैयार किया है। सोमपुरा वालों ने इस मंदिर का नक्शा तैयार किया है।
विद्यार्थी करते है वेद की पढ़ाई
इस मंदिर में गुरुकुल परम्परा के आधार पर बच्चों को वेद की शिक्षा दी जाती है, साथ ही विद्यार्थी वेद पाठ भी करते हैं। मंदिर के महंत ओमानंद ने बताया कि यहां तकरीबन 100 विद्यार्थी है, लेकिन अभी कोरोना के कारण कई विद्यार्थी अपने घरों से वापस नहीं आए हैं।शहर के प्राचीन मंदिरों में से एक कात्यायनी शक्तिपीठ शहर के प्राचीन मंदिरों में से एक है। महंत ओमानंद ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना 1953 में की गई थी। मंदिर में गौशाला भी है, जिसे अब भदभदा पर शिफ्ट कर दिया गया है। साल में होने वाले प्रमुख आयोजन यहां धूमधाम से मनाए जाते हैं, और अनेक श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस मंदिर से कई शिष्य जुड़े हुए हैं।
इस मंदिर में गुरुकुल परम्परा के आधार पर बच्चों को वेद की शिक्षा दी जाती है, साथ ही विद्यार्थी वेद पाठ भी करते हैं। मंदिर के महंत ओमानंद ने बताया कि यहां तकरीबन 100 विद्यार्थी है, लेकिन अभी कोरोना के कारण कई विद्यार्थी अपने घरों से वापस नहीं आए हैं।शहर के प्राचीन मंदिरों में से एक कात्यायनी शक्तिपीठ शहर के प्राचीन मंदिरों में से एक है। महंत ओमानंद ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना 1953 में की गई थी। मंदिर में गौशाला भी है, जिसे अब भदभदा पर शिफ्ट कर दिया गया है। साल में होने वाले प्रमुख आयोजन यहां धूमधाम से मनाए जाते हैं, और अनेक श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस मंदिर से कई शिष्य जुड़े हुए हैं।