भोपाल

जागेंगे देव, चार महीने बाद फिर गूंजेगी शहनाइयां

– विवाह का पहला मुहूर्त 20 नवम्बर से लेकिन शहर में ग्यारस से ही शुरू हो रहे विवाह
– देवउठनी ग्यारस पर फिर गूंजेगे पटाखे, जगमगाएंगी आतिशबाजियां

भोपालNov 13, 2021 / 10:47 am

praveen malviya

Brother-in-law accused of kidnapping over relationship dispute, police

भोपाल. चार महीनों से शयन कर रहे जगत के पालनकर्ता भगवान श्री लक्ष्मी नारायण दो दिनों बाद जागने जा रहे हैं। इसके साथ ही मांगलिक कार्य भी शुरू हो जाएंगे। ज्योतिषियों के अनुसार विवाह का पहला मुहूर्त 20 नवम्बर को पड़ेगा, लेकिन देवउठनी के साथ ही शहर में कई विवाह आयोजन शुरू होने जा रहे हैं। विवाह मुहूर्त नवम्बर से फरवरी तक रहेंगे, इस दौरान एक दर्जन से अधिक विवाह मुहूर्त पड़ेगे।देवशयन 20 जुलाई को हुआ था, 15 नवंबर को देवउठनी एकादशी के साथ भगवान की योगनिद्रा समाप्त होगी और मांगलिक कार्यों पर चार माह से लगा विराम हट जाएगा। विवाह का पहला मुहूर्त 20 नवंबर को है, हालांकि देवउठनी एकादशी से गृह प्रवेश मुंडन संस्कार विवाह संस्कार भूमि पूजन नए व्यापार की शुरुआत जैसे मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे वहीं शहर में ग्यारस के अबूझ मुहूर्त पर भी कई विवाह कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।
होगा तुलसी विवाह, सजेंगी रोशनियां,आतिशबाजियां

देवउठने के बाद अगले चार महीनों में यानी फरवरी तक 14 दिन शादी के लिए शुभ मुहूर्त है धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु चार माह की योगनिद्रा के बाद देवउठनी एकादशी पर जागते हैं इस अवसर पर तुलसी शालिग्राम का विवाह कराने की भी परंपरा है। इस दौरान गन्ने का मंडप बनाकर विवाह कराया जाएगा एवं भक्त रोशनी कर उल्लास मनाते हैं।
यह रहेंगे विवाह मुहूर्त

देवउठनी ग्यारस के बाद नवम्बर, दिसम्बर और जनवरी में एक दर्जन से अधिक विवाह मूहर्त पड़ रहे हैं। विवाह मुहूर्त नवंबर 20 21 28 30 दिसंबर 1,7 11 13 जनवरी 22 23 फरवरी 5 6 10 अ_ारह इस बीच 6 जनवरी से 12 जनवरी तक शुक्र अस्त होने की वजह से विवाह मुहूर्त नहीं है फिर मीनार के लगने की वजह से मलमास शुरू हो जाएगा और इस दौरान मांगलिक कार्य नहीं कराए जा सकेंगे 24 फरवरी को गुरु अस्त होने की वजह से एक बार फिर शुभ कार्यों पर ग्रहण लग जाएगा
बॉक्स- दो दिन पड़ रही एकादशी तिथि, 15 श्रेष्ठ

इस बार देवउठनी एकादशी की तारीख को लेकर लोगों में संशय की स्थिति है, क्योंकि एकादशी तिथि दो दिन, 14 एवं 15 नवंबर को पड़ रही है। ज्योतिषाचार्य पंडित जगदीश शर्मा ने बताया कि दरअसल एकादशी तिथि 14 तारीख को सुबह 8.42 से प्रारंभ हो जाएगी जो दूसरे दिन 15 नवंबर को 8.34 तक रहेगी अत: देवउठनी एकादशी 15 नवंबर को मनाना श्रेष्ठ है।

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