उनके आधार नम्बर से ही उनकी फोटो और डिजिटल सिग्नेचर लेकर रजिस्ट्री में प्रिंट कर दिए जाएंगे। इसके लिए अभी काफी स्पेस देकर पेज पर फोटो छापे जाते हैं। कई बार मेकर ऐसे फोटो खींचता है कि गवाह पहचान तक में नहीं आ पाते। आधार से जानकारी लेने पर ये सिस्टेमेटिक हो जाएगा। एक ही पेज पर सभी के फोटो और जानकारी होगी।
बढ़ते डिजिटलाइजेशन की वजह से बदलाव
पंजीयन अफसरों ने बताया जैसे-जैसे आधार, पेन कार्ड, ई स्टाम्प जेनरेट होने शुरू हुए हैं । इससे डिजिटलाइजेशन काफी हुआ है। प्रॉपर्टी की आइडी में ही पूरी डिटेल आने से आगे चलकर सिर्फ प्रॉपर्टी आइडी नम्बर से ही काम चल जाएगा। रजिस्ट्री में शॉर्ट डिक्रिप्शन से काम चल जाएगा।
लुक के लिए स्टाम्प की मांग
अभी रजिस्ट्री में ऊपर कोई स्टाम्प या सील सिक्का जैसी कोई ऐसी स्टाम्प नहीं होती जिससे उसका लुक अलग दिखे। लोगों की मांग है कि इस तरफ भी थोड़ा ध्यान दिया जाए। आम आदमी भारी भरकम स्टाम्प शुल्क चुका कर रजिस्ट्री लेता है। लेकिन लुक न होने से वह फीकी सी लगती है।
1960 से बदलाव जारी
1960 के दौर में 2 से 4 पेज की रजिस्ट्री में शुल्क के स्टाम्प होते थे और प्रॉपर्टी की बहुत ज्यादा डिटेल नहीं होती थी। 1970 के बाद से गवाहों को सिस्टेमेटिक किया गया। 1980 में ये और मोडिफाई किया गया। वर्तमान में रजिस्ट्री 12 पन्ने 100 जीएसएम बॉन्ड पेपर पर दोनों तरफ यानीं 24 पेज की होती है। आगे ये 8 बॉन्ड पेपर पर निकलेगी।