भोपाल

इस भारतीय को मिल सकता है दुनिया का सबसे बड़ा सम्मान, भोपाल में हुआ था जन्म

मध्यप्रदेश के भोपाल में जन्मे भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिल सकता है। सोमवार को इसकी घोषणा होने व

भोपालOct 07, 2017 / 04:40 pm

Manish Gite

Rbi ex governor raghuram rajan


भोपाल। मध्यप्रदेश के भोपाल में जन्मे भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिल सकता है। सोमवार को इसकी घोषणा होने वाली है।
 

रघुराम राजन ने नोटबंदी के बाद मोदी सरकार के इस कदम को अधूरा प्रयास बताया था। यदि राजन को यह पुरस्कार मिलता है तो अर्थ शास्त्र के क्षेत्र में पहली बार किसी भारतीय को यह सम्मान मिलेगा।
 

उल्लेखनीय है कि जिस तरह कैलाश सत्यार्थी को नोबेल मिलने से मध्यप्रदेश के विदिशा का नाम रोशन हुआ उसी प्रकार राजन को दुनिया का सबसे बड़ा सम्मान मिलने से भोपाल का नाम भी रोशन होगा।
 

बर्थ सर्टिफिकेट पर हुआ था विवाद
पिछले साल 29 अप्रैल को जब आरबीआई गवर्नर रहते जब रघुराम राजन भोपाल आए थे तब वे विवादों में पड़ गए थे। भोपाल नगर निगम उन्हें बर्थ सर्टिफिकेट गिफ्ट करना चाहता था। एक दिन में ही सारी प्रोसेस कर तैयार हुए इस बर्थ सर्टिफिकेट में नगर निगम ने राजन के जन्म नाम के आगे डॉक्टर लिख दिया था। इसके साथ ही उनका पता भी नहीं लिखा था। जब मामला गर्माया तो तत्कालीन कमिश्नर छवि भारद्वाज ने किसी सर्टिफिकेट के जारी होने से ही इनकार कर दिया।
 

तमिल परिवार में जन्मे थे राजन
3 फरवरी 1963 को राजन का जन्म भोपाल में ही एक तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था। राजन की माता का नाम मयथिली और पिता का नाम आर गोविंद राजन है।
 

राजन का नाम सूची में शामिल
स्वीडन के स्टॉकहोम में इसकी घोषणा सोमवार को होने वाली है। द वॉल स्ट्रीट जनरल के अनुसार संभावित नोबल पुरस्कारों की सूची में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का नाम शामिल कर लिया गया है। विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राजन का नाम कार्पोरेट फायनेंस के क्षेत्र में उनके द्वारा किए कार्यों को आधार बनाकर इस सूची में शामिल किया गया है। भारत में पिछले साल हुई नोटबंदी के बाद राजन ने मोदी सरकार के इस कदम को अधूरा प्रयोग बताया था।
 

रायसेन के गांव की तरक्की देख हो गए थे हैरान
जब राजन भोपाल आए थे तब वे रायसेन जिले के सलामतपुर गांव की तरक्की ने वे इतना हैरान थे कि इसकी हकीकत जानने उन्हें इस गांव में आना पड़ा। वे बच्चों से मिले, सड़क किनारे जुटे लोगों के बीच खड़े होकर बातचीत की। उन्होंने देखा कि कभी ये गांव झोपड़पट्टियों वाला था, पर आज यहां पक्के मकान हैं। इमारतें भी हैं। हर किसी के पास रोजगार है और यहां की औसतन मासिक आय करीब 10 हजार रुपए है। राजन एक छोटे से कार्यक्रम में भी शामिल हुए जिन्होंने स्वयं सहायता समूह का हिस्सा बनकर अपनी किस्मत बदल ली।
किस-किस को मिला नोबेल पुरस्कार

रवींद्र नाथ टैगोर
1913 में बंगाली भाषा के साहित्यकार रवींद्र नाथ टैगोर को साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला था। वे पहले गौर यूरोपीय और भारतीय व्यक्ति थे, जिन्हें यह सम्मान मिला।
 

सर चंद्रशेखर वेंकटरमन
1930 में सर चंद्रशेखर वेंकटरमन को भतिकी में नोबेल पुरस्कार मिला। प्रकाश के प्रकीर्णन पर काम करने पर उन्हें यह पुरस्कार मिला। उन्हें 1954 भारत रत्न भी दिया गया था।
 

मदर टेरेसा
1979 में मदर टेरेसा को कोलकाता में कुष्ठ रोगियों की सेवा में योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था।

 

अमर्त्य सेन
1998 में आर्थिक विज्ञान के क्षेत्र में योगदान देने वाले अर्थ शास्त्री अमर्त्य सेन को यह सम्मान मिला था।
 

वेंकटरमन रामकृष्णन
2009 में रसायन विज्ञान के क्षेत्र में वेंकटरमन रामकृष्णन को यह सम्मान दिया गया था। वे लंदन के रॉयल सोसायटी के अध्यक्ष थे।

 

कैलाश सत्यार्थी
मध्यप्रदेश के विदिशा जिले के रहने वाले कैलाश सत्यार्थी को 2014 में में यह सम्मान दिया गया था। उन्होंने बच्चों की शिक्षा और उनके अधिकारों समेत बाल मजदूरी को खत्म करने के लिए काफी काम किया था।

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