भोपाल

प्रदेश की सातों स्मार्ट सिटी की राष्ट्रीय स्तर पर गिरी रैंकिंग

– स्र्माट सिटी के काम पड़े ठप, राज्य का हिस्सा नहीं हुआ जारी- एक वर्ष में भोपाल पहले से 6वें नंबर पर, इंदौर 8वें से 16 वें नंबर पर पहुंचा
– दूसरे से पहले नंबर पर पहुंचा नागपुर

भोपालSep 08, 2019 / 09:39 am

Ashok gautam

भोपाल। कमलनाथ सरकार की प्राथमिकता में स्मार्ट सिटी नहीं है। इसके चलते प्रदेश की सातों स्मार्ट सिटी की राष्ट्रीय स्तर पर रैंकिंग गिर गई है। देश में पहले नंबर पर रहने वाला भोपाल स्मार्ट सिटी के मामले में खिसक कर छठवें नंबर पर पहुंच गया है। वहीं नागपुर ने दूसरे नंबर से छलांग लगाते हुए पहले नंबर पर जगह बना ली है। प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर 8 वें से 16 वें नम्बर पर पहुंच गई है।

प्रदेश में स्मार्ट सिटी का काम लगभग रुक सा गया है। पिछले तीन साल के अंदर भोपाल को छोड़कर इंदौर व जबलपुर के स्मार्ट सिटी का महज 20 फीसदी काम भी नहीं हो पाया है। वहीं सतना, ग्वालियर और सागर सहित कई जिलों में स्मार्ट सिटी का काम ही शुरू नहीं हो पाया है।

 

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प्रदेश सरकार ने भोपाल, इंदौर और जबलपुर स्मार्ट सिटी के लिए ३00 करोड़ रुपए का राज्यांश रोक दिया है। जबकि अन्य स्मार्ट सिटी को पूर्व में जो राशि दी गई थी वही उन शहरों ने खर्च नहीं की।

 

इसके चलते उन्होंने राज्य सरकार से अभी तक दूसरी किश्त की राशि की कोई मांग ही नहीं की है। भोपाल में झुग्गियों के विस्थापन में आ रहे अड़ंगे के चलते यहां की स्मार्ट रोड का निर्माण कार्य भी रोका गया । वहीं सतना में स्मार्ट सिटी का काम तब तक शुरू नहीं होगा जब तक उसका मास्टर प्लान नहीं बनाया जाएगा। सतना स्मार्ट सिटी को स्थानीय समिति ने उतैली क्षेत्र में 392 एकड़ में ग्रीनफिल्ड में स्मार्ट बनाने की मंजूरी दी है।

 

इस सिटी के लिए अब तक सरकार ने 4.8 करोड़ रूपए खर्च कर किए हैं। प्रदेश में भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर और सतना में स्मार्ट सिटी बनाई जा रही है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा पैसा खर्च किया जा रहा है। केन्द्र और राज्य ने सातों शहरों को 2113 करोड़ रूपए दिए थे, लेकिन इन्होंने अभी तक 1121.43 करोड़ रूपए ही खर्च किए हैं।

 

रैंकिंग गिरने की मुख्य ६ वजह
– राज्यांश नहीं मिलना

– भोपाल में लैंड मॉनिटाइजेशन में रुकावट (भूमि विक्रय से प्राप्त राशि)
– सागर में लेक प्रोजेक्ट में विलंब

– इंदौर में स्मार्ट सिटी पोल नहीं लग पाए
– ग्वालियर में आईटीएमएस का काम न होना

– सतना जिले का मास्टर प्लान बनने के बाद ही शुरू होगा स्मार्ट सिटी का काम

तीन वर्ष में बना कमांड कंट्रोल सेंटर

भोपाल, सागर, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और उज्जैन में कंट्रोल कमांड सेंटर 3 वर्ष में बनकर तैयार हुआ है। कंट्रोल कमांड से पुलिस और प्रशासन ने सूचनाएं लेना भी शुरू कर दी है। हालांकि अभी भी शहर में कई जगह कैमरे नहीं लगाए गए हैं।

 

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साइकिल ट्रैक पर भी रोक

स्मार्ट सिटी में साइकिल टै्रक बनाने पर रोक लगा दी गई है। भोपाल और इंदौर में जो ट्रैक बनाए गए थे उसका भी रख-रखाव करना बंद कर दिया गया है। इसके अलावा कई जगह से साइकिलों के स्टैंड और उन जगह पर साइकिल की संख्या भी काम कर दी गई है, क्योंकि कई जगह से साइकिलें उपयोग में नहीं लाई जाती थीं। भारत सरकार स्मार्ट सिटी गाइड लाइन के अनुसार सभी स्मार्ट सिटियों में साइकिल ट्रेक बनाए जाने थे।

भोपाल-इंदौर को छोड़कर बांकी स्मार्ट सिटियों का काम पिछड़ा

भोपाल और इंदौर को छोड़कर बांकी सभी शहरों के स्मार्ट सिटी का काम पिछड़ गया है। शहरों में स्मार्ट सिटी का बीस फीसदी भी काम नहीं हुआ है। केन्द्र और राज्य ने सातों शहरों को 2113 करोड़ रूपए स्मार्ट सिटी के लिए दिए थे, लेकिन इन्होंने अभी तक 1121.43 करोड़ रूपए खर्च किए हैं।
शहर————-केन्द्र——-राज्य – ————-कुल खर्च खर्च राशि करोड़ में


भोपाल————-289—- 200———–478.10

इंदौर ———– 196—–200———–310.25

जबलपुर——— 196—–200———-205.92

ग्वालियर———- 196—–146———–26
उज्जैन ——- —196—–146 ———78

सागर ————54—-20————–13

सतना ————-54—-20—————-8.74


सीईओ बदलने की नहीं ली अनुमति
राज्य सरकार ने प्रदेश के सारे स्मार्ट सिटी के सीईओ बद दिए हैं, इसकी अनुमति भारत सकरार से नहीं ली गई। भारत सरकार ने इस संबंध में मुख्य सचिव को पत्र के माध्यम से आपत्ति की है, कि बिना अनुमति के स्मार्ट सिटी सीईओ कैसे हटा दिए गए।। जबलपुर और सतना में स्मार्ट सिटी के सीईओ का प्रभार नगर निगम आयुक्त को दिया गया है। जबकि इंदौर, भोपाल, उज्जैन, में स्माट सीईओ का स्थानांतरण कर दिया गया है। नियमानुसार एक स्मार्ट सिटी में तीन साल के लिए सीईओ पदस्थ किया जाता है। उन्हें हटाने के लिए राज्य सरकार को केन्द्र से अनुमति लेना पड़ती है।
मात्र दो साल का समय

मांदी सरकार ने राज्य सरकारों को पांच साल के अंदर स्मार्ट सिटी बनाने के लिए कहा था। भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में स्मार्ट सिटी बनाने में अब तक तीन वर्ष बीत चुके हैं। अभी तक इन शहरों औसत 20 फीसदी काम हुआ है, लेकिन यह भी काम अभी तक धरातल पर नहीं दिखाई दे रहा है। भारत सरकार स्मार्ट सिटी गाइड लाइन के अनुसार इन्हें 80 फीसदी काम दो साल के अंदर पूरा करना है।
राष्ट्रीय स्तर पर रैंकिंग

शहर—अक्टूबर 2018—- -सिम्बर 2019
भोपाल—1 ————–6

इंदौर —–8—————–16

उज्जैन—-13————-26

ग्वालयर —16 ————-36
सागर——21————-41

जबलपुर —36————–60

सागर——43 ————–64

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