ब्रिटिश सरकार ने दिया था महल छोड़ने का आदेश
ये किस्सा है मार्च 1854 का। इस दौरान रानी लक्ष्मीबाई से परेशान हुई ब्रिटिश सरकार ने रानी को महल छोड़ने का आदेश दिया था। लेकिन इस आदेश के विपरीत रानी ने निश्चय किया कि वे झांसी नहीं छोड़ेंगी। उन्होंने संकल्प भी लिया कि वे हर हाल में झांसी को आजाद कराकर रहेंगी। वीरता से वे आगे बढीं लेकिन ब्रिटिश सरकार ने उनके प्रयासों को विफल कर दिया।
पड़ोसी राज्य ही बने दुश्मन, लेकिन हारी नहीं
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई अपने पड़ोसी राज्यों की दुश्मनी से भी दो चार हो रही थीं। लेकिन वीरता और साहस के साथ वे इससे निपटती रहीं। उस समय झांसी के पड़ोसी राज्य थे आज के मध्य प्रदेश के दतिया और ओरछा। 1857 में इन दोनों ही पड़ोसी राज्यों ने झांसी पर हमला बोल दिया। लेकिन रानी लक्ष्मी बाई ने अपनी सेना के साथ अकेले ही उनका सामना किया और उन्हें घुटने टेकने को मजबूर कर दिया।
अंग्रेजों के हमले के बाद रानी को छोड़ना पड़ा महल
1858 के इस किस्से के मुताबिक ब्रिटिश सरकार ने झांसी पर हमला बोल दिया। झांसी अब चारों ओर से घिरा था। लेकिन निडर और अदम्य साहस की धनी रानी ने तब भी अंग्रेजों के आगे झुकना स्वीकार नहीं किया। पुरुष की पोशाक पहनी और अपने पुत्र को पीठ पर बांधकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग के मैदान में उतर गई। दोनों हाथों में तलवार लिए घोड़े पर सवार झांसी की रानी का यही चित्र देखकर आज भी लोग हैरान हो जाते हैं और जोश से भर जाते हैं। लेकिन उस समय रानी को झांसी छोड़ना पड़ा। वे अपने दत्तक पुत्र और कुछ सहयोगियों के साथ वहां से निकल गईं। ये भी पढे़ं: Rani Laxmibai: झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की शादी का कार्ड, ऑरिजनल तस्वीर देखें रानी की दुर्लभ चीजें