scriptRani Laxmibai: अंग्रेजों से ही नहीं देश के गद्दारों से भी वीरता से लड़ी झांसी की रानी, जरूर पढ़ें ये अनसुना किस्सा | Rani Laxmibai the queen of jhansi unknown facts interesting story | Patrika News
भोपाल

Rani Laxmibai: अंग्रेजों से ही नहीं देश के गद्दारों से भी वीरता से लड़ी झांसी की रानी, जरूर पढ़ें ये अनसुना किस्सा

Rani Laxmibai: अंग्रेजों के सामने कभी ना झुकने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को अपने ही देश के दुश्मनों से भी लड़ना पड़ा, ब्रिटिश हुकूमत के चाटुकार तत्कालिक राजाओं ने भी रानी लक्ष्मीबाई को हर हाल में झुकाने की कोशिशें कीं, लेकिन वो कभी नहीं झुकीं, झांसी की रानी के बलिदान दिवस पर आप भी जानें ऐसा ही एक वीर रस से भरा रोचक किस्सा…

भोपालJun 25, 2024 / 09:30 am

Sanjana Kumar

Rani Laxmibai
Rani LAxmibai: रानी लक्ष्मी बाई The Queen of Jhansi की वीर गाथाएं आज भी आज भी हमें जोश से भर देती हैं। सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी..पढ़कर, सुनकर हम बड़े हुए। आजादी के वीर रस प्रधान झांसी की रानी के कई किस्सों में से एक किस्सा ये भी है कि अंग्रेजों के साथ ही उनके अपने ही देश में भी कई दुश्मन थे। अंग्रेजी हुकूमत के चाटुकारों ने रानी लक्ष्मीबाई के पीछे लगे रहे, लेकिन अंग्रेजों के साथ ही देश के दुश्मनों से भी वो वीरता से लड़ती रहीं। यहां जानें आज 18 जून को रानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस पर उनकी (Rani Laxmibai) वीरता की अनसुनी कहानी..

ब्रिटिश सरकार ने दिया था महल छोड़ने का आदेश


ये किस्सा है मार्च 1854 का। इस दौरान रानी लक्ष्मीबाई से परेशान हुई ब्रिटिश सरकार ने रानी को महल छोड़ने का आदेश दिया था। लेकिन इस आदेश के विपरीत रानी ने निश्चय किया कि वे झांसी नहीं छोड़ेंगी। उन्होंने संकल्प भी लिया कि वे हर हाल में झांसी को आजाद कराकर रहेंगी। वीरता से वे आगे बढीं लेकिन ब्रिटिश सरकार ने उनके प्रयासों को विफल कर दिया।

पड़ोसी राज्य ही बने दुश्मन, लेकिन हारी नहीं


झांसी की रानी लक्ष्मीबाई अपने पड़ोसी राज्यों की दुश्मनी से भी दो चार हो रही थीं। लेकिन वीरता और साहस के साथ वे इससे निपटती रहीं। उस समय झांसी के पड़ोसी राज्य थे आज के मध्य प्रदेश के दतिया और ओरछा। 1857 में इन दोनों ही पड़ोसी राज्यों ने झांसी पर हमला बोल दिया। लेकिन रानी लक्ष्मी बाई ने अपनी सेना के साथ अकेले ही उनका सामना किया और उन्हें घुटने टेकने को मजबूर कर दिया।

अंग्रेजों के हमले के बाद रानी को छोड़ना पड़ा महल

1858 के इस किस्से के मुताबिक ब्रिटिश सरकार ने झांसी पर हमला बोल दिया। झांसी अब चारों ओर से घिरा था। लेकिन निडर और अदम्य साहस की धनी रानी ने तब भी अंग्रेजों के आगे झुकना स्वीकार नहीं किया। पुरुष की पोशाक पहनी और अपने पुत्र को पीठ पर बांधकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग के मैदान में उतर गई। दोनों हाथों में तलवार लिए घोड़े पर सवार झांसी की रानी का यही चित्र देखकर आज भी लोग हैरान हो जाते हैं और जोश से भर जाते हैं। लेकिन उस समय रानी को झांसी छोड़ना पड़ा। वे अपने दत्तक पुत्र और कुछ सहयोगियों के साथ वहां से निकल गईं।
ये भी पढे़ं: Rani Laxmibai: झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की शादी का कार्ड, ऑरिजनल तस्वीर देखें रानी की दुर्लभ चीजें

तब तांत्या टोपे से जा मिली रानी

1858 में झांसी छोड़कर निकली रानी तांत्या टोपे से जा मिलीं। लेकिन अंग्रेज और उनके चाटुकार भारतीय भी रानी की खोज में उनके पीछे लगे रहे।

18 जून को वीरगति को प्राप्त हुई रानी लक्ष्मीबाई

1858 में तांत्या टोपे के साथ ग्वालियर कूच करने वाली रानी लक्ष्मी बाई को देश के गद्दारों और अंग्रेजों ने रास्ते में ही घेर लिया। वीर और साहस की मूर्ति रानी ने यहां भी युद्घ किया और घायल हो गईं। 17 जून 1858 का युद्ध रानी लक्ष्मीबाई के साहस भरे जीवन का आखिरी दिन था। 18 जून 1858 को 30 साल की छोटी सी उम्र में आजादी की पहली भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना वीरगति को प्राप्त हो गईं।

Hindi News / Bhopal / Rani Laxmibai: अंग्रेजों से ही नहीं देश के गद्दारों से भी वीरता से लड़ी झांसी की रानी, जरूर पढ़ें ये अनसुना किस्सा

ट्रेंडिंग वीडियो