दरअसल माना जाता है कि भद्रा में राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता। वहीं रक्षाबंधन के लिए दोपहर का समय ही सबसे अच्छा माना जाता है। आपको बता दें कि इस बार सावन की पूर्णिमा कल यानी बुधवार को है। यानी रक्षाबंधन का पर्व भी बुधवार 30 तारीख को मनाया जाना है। लेकिन भद्रा का उदय सुबह 10 बजकर 59 मिनट पर होगा और भद्रा का अस्त रात नौ बजकर दो मिनट पर होगा। ऐसे में ज्योतिषाचार्य इस दौरान राखी बांधना शुभ नहीं मान रहे। लेकिन अब ज्योतिषाचार्य धूमधाम से रक्षाबंधन मनाने के लिए एक ज्योतिष उपाय बता रहे हैं।
ज्योतिषाचार्य पं. अरविंद तिवारी का कहना है कि भद्रा भले ही हो। लेकिन रक्षाबंधन का पर्व धूमधाम से मनाया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण को राखी अर्पित करें। भगवान को राखी बांधने के बाद अपने भाई की कलाई पर राखी बांधें। इससे शुभ घड़ी और कोई नहीं हो सकती।
जानें कब से कब तक है भद्रा
30 अगस्त दिन बुधवार को भद्रा का उदय सुबह 10 बजकर 59 मिनट पर होगा और भद्रा अस्त का समय रात 9 बजकर 2 मिनट रहेगा। इस दिन चंद्रमा सुबह 9 बजकर 57 मिनट पर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे यानी भद्रा के उदय के समय में चंद्रमा के कुंभ राशि में होने से भद्रा का वास मृत्यु लोक में रहेगा। अत: रक्षाबंधन भद्रा के उदय से पहले अथवा भद्रा के मुख्य कल की पांच घाटी यानी 2 घंटे व्यतीत होने के बाद शुभ चौघडिय़ा में मनाना श्रेयस्कर रहेगा। इस दिन दोपहर 12 बजकर 20 मिनट से 1 बजकर 54 मिनट तक राहुकाल रहेगा, वहीं सुबह 10 बजकर 14 मिनट से पंचक शुरू हो जाएंगे।
भद्रा के लिए कर लें ये उपाय और धूमधाम से मनाए रक्षाबंधन
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि अशुभ काल को शुभ काल में बदलने के लिए बहुत ही सरल और सहज उपाय शास्त्रों में बताए गए हैं। ऐसे में रक्षाबंधन के अशुभ समय को शुभ समय में बदलने के लिए सबसे पहले भगवान श्री कृष्ण के समक्ष दीप जलाकर प्रार्थना करें। इसके बाद प्रदोष काल में राखी बांधे, या फिर भद्रा की समाप्ति के बाद यानी रात 9 बजे के बाद से लेकर 31 अगस्त सुबह 7 बजकर 1 मिनट तक राखी बांधी जा सकेगी।
जानें क्या है भद्रा?
आमजन के मन में पहला सवाल यह हो सकता है कि भद्रा क्या है? भद्रा भगवान शनिदेव की बहन हैं और उनका स्वभाव रुद्र और उग्र है। इसलिए त्योहारों पर उनकी उपस्थिति अशुभ मानी गई है। सावन के महीने की पूर्णिमा के दिन पंचक और भद्रा का प्रभाव रहेगा।
राखी में लगाएं तीन गांठ
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक राखी बांधते समय बहन को अपने भाई की कलाई पर तीन गांठें बांधना चाहिए। तीन गांठें लगाने का अपना अलग धार्मिक महत्व है। मान्यता है कि तीन गांठें का महत्व तीन देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश की प्रतीक हैं और उन्हें समर्पित भी मानी गई हैं। ऐसे में पहली गांठ भाई की उम्र के लिए, दूसरी गांठ खुद की उम्र के लिए और तीसरी और अंतिम गांठ भाई बहन के बीच प्यार भरे रिश्ते के लिए होती है। वहीं भविष्य पुराण में कहा गया है कि रक्षा सूत्र धारण करने से साल भर रोग आपके पास भी नहीं आते और पॉजिटिविटी के साथ ही सौभाग्य बना रहता है।
भद्रा काल के साथ रक्षाबंधन पर सूर्य, बुध, गुरु, शुक्र और शनि से पंच महायोग बन रहे हैं । इनमें बुधाआदित्य योग, बासरपति योग, गजकेसरी योग, शश योग और भ्राता वृद्धि योग का दुर्लभ संगम होने से विशेष परिस्थिति में अपने भद्रा काल के उत्तर काल में राखी बांधी जा सकती है। राखी बांधने का शुभ मुहूर्त शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजे से 9 बजे तक रहेगा। भद्रा एवं पंचक से पहले वहीं दोपहर 3 बजकर 30 मिनट से 6 बजकर 30 मिनट तक भद्रा के मुख्य काल की पांच घटी बाद तथा शुभ श्रेष्ठ कारक मुहूर्त शाम 5 बजे से 6 बजकर 30 मिनट तक प्रदोष काल में, रक्षाबंधन भद्रा पुंछ शाम 5 बजकर 30 मिनट से 6 बजकर 30 मिनट तक, वहीं भद्रा मुख शाम 6 बजकर 31 मिनट से 8 बजकर 11 मिनट तक, सर्वोत्तम अमृत मुहूर्त रात 9 बजकर 34 मिनट से रात 10 बजकर 58 मिनट तक राखी बांधना शुभ रहेगा।