भोपाल। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के नए चेयरमैन मप्र-1982 बैच के आईएएस राघव चंद्रा के सामने अब देशभर में सड़कों के जाल को दुरूस्त करना और नए राजमार्ग बनाना बड़ी चुनौतीपूर्ण होगा। इसके लिए सबसे बड़ा काम बजट जुटाना रहेगा। सड़कों पर पहले भी अपने उपलब्धि वाले काम कर चुके राघव नए पद को बड़ी जिम्मेदारी मानते हैं। राघव खुद मानते हैं कि चुनौतियां कम नहीं है, लेकिन हौंसले भी बुलंद हैं। वे कहते हैं कि कामों को समझकर, प्लान करके और सभी की सहमति लेकर बड़े से बड़ा लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। पत्रिका ने नवनियुक्त राघव चंद्रा से बात की। पेश है प्रमुख अंश एक्सप्रेस-एनएच पर काम जरूरी राघव कहते हैं कि एेसे बहुत से एक्सप्रेस हाईवे व एनएच हैं जो मंजूर हो चुके हैं, लेकिन उन पर काम नहीं हुए। अनेक काम हैं, जहां पर मंत्रिमंडल तक मंजूरी दे चुका है पर निर्माण ही शुरू नहीं हो सका। एेसे कामों को शुरू करना और पूरा करना पहला लक्ष्य रहेगा। इन कामों की राह में अनेक दिक्कतें हैं। कहीं जमीन नहीं मिल रही, तो कहीं पर स्टेट होल्डर सहमत नहीं है। कुछ जगहों पर जमीन विवादों में उलझी है। जो काम चल रहे हैं, वे काम भी अनेक जगह रूक गए हैं। उन कामों को फिर शुरू करना बड़ा टॉस्क रहेगा। सबसे पहले इन कामों को समझना होगा। फिर रजामंदी बनानी होगी। उसके बाद निर्माण की शुरूआत होगी। नए राजमार्गों का जाल राघव कहते हैं कि देश के विकास को मापने के लिए सड़क बहुत बड़ा मानक होती है। सड़कों की अच्छी दशा जरूरी है। सड़कों के नए जाल की जरूरत है। जो पुरानी सड़कें हैं उन्हें दुरूस्त भी करना है। नए राजमार्ग भी बनाए जाएंगे। मध्यप्रदेश में जो राजमार्ग हैं उन्हें सुधारने के लिए भी काम होगा। नई टेक्नोलॉजी व अपग्रेड वर्क प्लान वे कहते हैं कि सड़कों की इंजीनियरिंग में तेजी से तकनीक बदल रही है। निश्चित तौर पर देश के राज्यों में जहां पर अच्छी तकनीक से काम हुआ है, उन्हें अपनाया जाएगा। गुजरात की सड़कों की इंजीनियरिंग अच्छी मानी जाती है, तो उसे भी अपनाएंगे। अपडेट वर्क प्लान बनाएंगे, जिसमें नई तकनीक को पूरी तवोज्जो दी जाएगी। बजट का इंतजाम बड़ा टॉस्क उनका कहना है कि सड़कों के मामले में बजट का इंतजाम बड़ा टॉस्क है। इस पर गंभीरता से विचार करेंगे। प्रायवेट सेक्टर, सरकार, एशियाई विकास बैंक, वल्र्ड बैंक या दूसरे माध्यमों से कैसे बजट जुटेगा इस पर प्लान बनाया जाएगा। खराब सड़कों को सुधारना जरूरी है। इसलिए उसके लिए भी बजट लगेगा। मेंटनेंस व विजिलेंस सबसे जरूरी राघव कहते हैं कि देश में सड़कें तो बन जाती है, लेकिन उसका सही मेंटनेंस नहीं हो पाता। इस कारण सड़कें खराब हो जाती है। इसलिए मेंटनेंस व उसके विजिलेंस की बहुत जरूरत है। इसके लिए कोई नया सिस्टम विकसित करने पर विचार किया जाएगा। सड़कों को इस तरह निगरानी में रखा जाए कि वह खराब नहीं हो या उसकी उम्र बढ़ जाए, तो काफी असर पड़ सकता है। प्रोफाइल एक नजर में मप्र सड़क विकास प्राधिकरण का निर्माण राघव के एमडी के कार्यकाल में। स्थापना का श्रेय उन्हीं को जाता है। मप्र एनएचई की जिम्मेदारी भी राघव संभाल चुके। वर्ष-2010 से 2012 तक मप्र में यह जिम्मेदारी संभाली। दिल्ली व हावर्ड विवि से स्नोतकोत्तर डिग्री ली। लेखन में भी रूचि। पर्यावरण, आर्थिक मामले व प्रशासन पर लेखन। मप्र में नगरीय प्रशासन के पीएस रहे। भोपाल-इंदौर के विकास व मध्यम शहरों के विकास का कंसेप्ट लाए। भोपाल-इंदौर में बीआरटीएस और मेट्रो प्रोजेक्ट की शुरूआती अवधारणना राघव चंद्रा के कार्यकाल में ही शुरू हुई। अनेक देशों की अध्ययन यात्रा, अनेक अवार्ड और अनेक विभागों की जिम्मेदारी मध्यप्रदेश में रहते संभाली।