बता दें कि तेज रफ्तार कार में हादसे का शिकार हुए एमपी के अनीश अवधिया और अश्विनी के परिजनों ने किशोर न्याय बोर्ड के फैसले के खिलाफ आवाज उठाते हुए महाराष्ट्र सरकार से न्याय के लिए सहयों करने की मांग की थी। जिसके बाद डिप्टी सीएम महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मामले को जघन्य करार देते हुए पुलिस को एक्शन लेने और सेशन कोर्ट में इस मामले को बालिग की तरह ट्रीट किए जाने के निर्देश दिए थे।
किशोर न्याय बोर्ड के फैसले की देश भर में हुई थी आलोचना
बता दें कि इस मामले में आरोपी को किशोर न्याय बोर्ड ने हादसे पर 300 शब्दों का निबंध लिखवाकर कुछ शर्तों पर जमानत दे दी थी। पुणे पुलिस ने बोर्ड से आरोपी पर बालिग की तरह केस चलाने की अपील की थी। लेकिन बोर्ड ने इससे इनकार कर दिया था। बोर्ड के इस फैसले पर देश भर से सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया आईं। लोग बोर्ड के फैसले से हैरान हैं और खुलकर आलोचना कर रहे हैं। आपको बता दें कि पुणे में कार हादसे में जान गंवाने वाले आईटी इंजीनियर अनीश अवधिया उमरिया जिले के बिरसिंहपुर पाली के रहने वाले थे। जवान बेटे की मौत से पूरा परिवार सदमे में है। बेटे की मौत के बाद पुलिस की कार्रवाई को लेकर भी परिजन में नाराजगी है। अनीश की मां और दादी तो बेसुध हो रही हैं और हर पल अनीश को याद कर रो रही हैं। वहीं अनीश की दोस्त अश्विनी कोष्टा जबलपुर की रहने वाली थी।
बता दें कि अनीश और अश्विनी देर रात एक पार्टी से लौट रहे थे। तभी तेज रफ्तार पोर्शे कार ने उन्हें टक्कर मार दी थी। जिससे दोनों की मौत हो गई थी। कार एक नामी बिल्डर का नाबालिग बेटा चला रहा था, जिसे किशोर न्याय बोर्ड ने जमानत दे दी है।