18 फरवरी को बाड़े में छोड़ा गया था
चीता एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीतों को साउथ अफ्रीका से लाने के बाद 18 फरवरी को बाड़े में छोड़ा गया था। ये चीते काफी फूर्तिले हैं, लेकिन लगातार बाड़े में रहने से ये स्ट्रैेस में आ गए हैं। हाल ही में इन्हें बड़े बाड़े में छोड़ा गया है। ये समय इनके लिए काफी लंबा हो गया है। चीता एक्सपर्ट लॉरी मार्कर के अनुसार इलाज शुरू होने के कुछ ही देर बाद चीता की मौत हो गई। हम भी कारण जानने के लिए पीएम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। उसके अनुसार ही अन्य चीतों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए जाएंगे। चीतों की सुरक्षा को लेकर नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में भी चीता शिफ्टिंग का मुद्दा उठ सकता है। अभी चीतों के लिए गांधी सागर अभयारण्य को तैयार होने में करीब 6 माह का समय लगेगा। राजस्थान का मुकुंदरा इनके रहवास के लिए सुरक्षित है।
खरमोर पार्क की 348 वर्ग किमी रेवेन्यू लैंड डिनोटिफिकेशन का प्रस्ताव
नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक मंगलवार को दिल्ली में होगी। इसमें एपीसीसीएफ शुभरंजन सेन शामिल होंगे। बैठक में मध्यप्रदेश की तरफ से दो प्रस्ताव भेजे गए हैं। इसमें सरदारपुर खरमोर अभयारण्यकी 348.12 वर्ग किलोमीटर की जमीन को डिनोटिफाइड करने का प्रस्ताव है। ये जमीन रेवेन्यू की है। वहीं, झाबुआ और धार क्षेत्र की रेवेन्यू और फॉरेस्ट की करीब 16.42 वर्ग किलोमीटर की जमीन को अभयारण्य के लिए नोटिफाई करने का भी प्रस्ताव है। इससे 14 गांवों की राजस्व भूमि मुक्त हो सकेगी। इसी तरह वेस्टर्न बाइपास के लिए 25 हेक्टेयर जमीन निर्माण की अनुमति के लिए भी प्रस्ताव भेजा गया है। यह जमीन सोनचिरैया अभयारण्य में शामिल है।सरदारपुर खरमोर अभयारण्य के डी-नोटिफिकेशन का प्रस्ताव दिसंबर की बैठक में भी शामिल था, लेकिन इसे मंजूरी नहीं दी थी। वहीं, ग्वालियर शहर के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में घाटीगांव सोनचिरैया अभयारण्य की भूमि पर प्रस्तावित वेस्टर्न बायपास प्रोजेक्ट को भी मंजूरी नहीं दी गई थी। बोर्ड ने यहा विशेषज्ञों की एक टीम भेजकर प्रभावित इलाके की मैदानी जांच कराने की बात कही थी।