मामले को लेकर यूनाइटेड प्राइवेट हॉस्पिटल्स डायरेक्टर्स एसोसिएशन की ओर से कहा गया है कि, 1 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद मध्य प्रदेश में भुगतान नहीं किया जा रहा है। जबकि, उत्तर प्रदेश में काफी जल्दी भुगतान हो जाता है। मध्य प्रदेश में इस भुगतान को होने में एक साल से भी ज्यादा समय लग रहा है। वेंडर्स भी उधार नहीं दे रहे, मार्केट में कर्जा बढ़ता जा रहा है। बायो ऑथेंटिकेशन की समस्या भी बढ़ रही है।
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इसलिए अटक गया अस्पतालों का भुगतान
आपको बता दें कि, मध्य प्रदेश में 622 अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत इलाज कर रहे हैं। फ्रॉड के मामले में 3 हॉस्पिटल के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है। ये मामला फिलहाल न्यायालय में चल रहा है। ऑडिट को लेकर भी समस्या खड़ी हुई है। यही कारण है कि, पिछले 9 महीनों से आयुष्मान योजना का मामला पेचीदा बना हुआ है।
एसोसिएशन का तर्क
वहीं, दूसरी तरफ एसोसिएशन का तर्क है कि, अगर 100 में से कोई 2 गलत करें तो क्या इसका मतलब ये होगा कि, भुगतना सभी को पड़ेगा ?ये न्याय संगत समझ नहीं आती। अच्छी संस्थाएं भी पैसे को लेकर परेशान हैं। 5 की करनी 100 की भरनी वाली बात पर शासन को समझना चाहिए। मानवीय आधार पर कोविड के समय काम कराया और कानूनी आधार पर पेमेंट रोक दिया। उन्होंने कहा कि, जब परमिशन शासन से मिली है तो हमारा भुगतान भी शासन करे।
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ये है डॉक्टरों की मांग
– 31 मार्च तक का भुगतान हमें शीघ्र किया जाये
– शासन के पोर्टल पर कार्ड बन रहे हैं और बाद में फर्जी करार कर शासन रोक रही रकम को दिया जाए।
– आयुष्मान की योजना समिति में हमारा प्रतिनिधित्व दिया जाए।