– जयविलास पैलेस हिंदू मराठा वंश महाराजा जयाजी राव सिंधिया का घर है।
– 19वीं शताब्दी में बना यह महल भारतीय महलों के पारम्परिक डिजाइन्स से जरा हटकर था।
– यह यूरोपियन शैली की वास्तुकला का अद्भुन नमूना है। जो टस्कन, इटैलियन और कोरिंथियन शैलियों से प्रेरित है।
– इस महल के वास्तुकार माइकल फिलोस थे, जिन्हें दरबार हॉल को बड़े ही नायाब तरीके से बनाया।
– 12,40,771 वर्गफुट में फैले इस महल में तीन मंजिले हैं और यह अब भी सिंधिया परिवार का वर्तमान घर ही है।
– 19वीं सदी का महल जय विलास महल जीवाजी राव सिंधिया के पोते ज्योतिरादित्य सिंधिया को विरासत में मिला है। तत्कालीन ग्वालियर रियासत में जन्मे सिंधिया भारतीय राजनीति में सक्रिय हैं।
– महल की नींव महाराजा जयाजी राव सिंधिया की देखरेख में 1874 में रखी गई थी।
– महलनुमा हवेली को ब्रिटिश लेफ्टीनेंट कर्नल सर माइकल फिरोज ने डिजाइन किया था।
– उस समय महल की कीमत 1 करोड़ रुपए थी और आज इसकी कीमत 4 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा है।
– दिलचस्प बात यह है कि महल की हर मंजिल को एक अलग थीम के साथ डिजाइन किया गया है।
– महल की पहली मंजिल टस्कन है, दूसरी इटालियन-डोरिक और तीसरी कोरिंथियन और पल्लाडियन डिजाइन से प्ररित है।
– उस दौरान आठ हाथियों को दरबार हॉल की छत से गुजारा गया था, ताकि पता लगाया जा सके कि छत दो विशाल झूमरों का वजन झेलने लायक है या नहीं।
– इसके हॉल के इंटीरियर को 560 किग्रा सोने से सजाया गया है।
– इसी हॉल में राजा सभा किया करते थे। – हॉल का डिजाइन नियोक्लासिकल और बारेक शैलियों में बना है।
– एक अन्य चीज जो सिंधिया परिवार की रॉयल्टी को दर्शाती है, वह है ठोस चांदी से बनी एक मॉडल ट्रेन।
– यह ट्रेन बैंक्वेट हॉल में खाने की टेबल के किनारे पर एक ट्रैक के साथ चलती थी। इसका इस्तेमाल मेहमानों के लिए ब्रांडी और सिगार सर्व करने के लिए किया जाता था।
– यहां 400 कमरे हैं, इनमें से 35 को म्यूजियम में बदल दिया गया है।
– एचएच महाराजा जियाजीराव सिंधिया संग्रहालय को राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने जीवाजीराव सिंधिया की याद में बनवाया था।
– इस महल में चांदी के रथ, पालकी, पुरानी लक्जरी कारों का अद्भुत संग्रह है।
– संग्रहालय में नेपोलियन और टीपू सुल्तान के लिथोग्राफ जैसे भारतीय और यूरोपीय उस्तादों द्वारा दुलर्भ चित्रों को प्रदर्शित किया गया है।
– इस म्यूजियम का उद्घाटन उस समय के राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किया था।
– जय विलास पैलेट की टिकट की कीमत भारतीयों के लिए 300 रुपए रखी गई है। – जबकि विदेशी 850 रुपए फीस चुकाकर इसकी खूबसूरती के गवाह बन सकते हैं।
– यदि आप भी इस महल को देखकर हैरान होना चाहते हैं, तो आपको बता दें कि यह सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुलता है।
– बुधवार के दिन यहां छुट्टी का दिन होता है। – यानी पर्यटक बुधवार को महल का दीदार नहीं कर सकते।
– पैलेस के पास का स्टेशन ग्वालियर जंक्शन है। यहां से आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट से महल पहुंच सकते हैं या फिर महाराजपुरा में एयरपोर्ट भी है। यहां से भी आप ऑटो या कैब लेकर जय विलास पैलेस तक पहुंच सकते हैं।