सभी ब्लॉक में किया हेल्थ टीमों का गठन
बचपन को बचाने के लिए सरकार मिशन मोड में काम कर रही है। कुपोषित बच्चों के लिए सरकार ने 4 डी कार्यक्रम शुरू किया है। यानी डिफेक्ट एट बर्थ, डेफीशिएन्सीज, चाइल्डहुड डिजीज, डेपलपमेंटल डिले और डिएबीलिटीज। मतलब बच्चे के जन्म के समय किसी अंग में डिफेक्ट, कमजोरी, बचपन की बीमारी, विकास में देरी और अपंगता पर इस मिशन के जरिए फोकस किया जाएगा। इस मिशन में वे सभी बच्चे आएंगे जो कुपोषण के कारण कम वजन के हैं। प्रदेश के सभी 313 ब्लॉक में मोबाइल हेल्थ टीम का गठन किया गया है। शहरी क्षेत्रों में 120 और ग्रामीण क्षेत्रों में 580 मोबाइल हेल्थ टीम काम कर रही हैं। हर टीम में दो डॉक्टर, एक फॉर्मासिस्ट और एक एएनएम है। माइक्रोप्लान के आधार पर रोजाना सौ से ज्यादा बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। कुपोषण के लिए एकीकृत प्रबंधन रणनीति के तहत विशेष पोषण और देखभाल से बच्चों को सामान्य पोषण स्थिति में लाया जा रहा है। बच्चों को पुनर्वास केंद्रों में भी ले जाया जा रहा है।
पोषण आहार कार्यक्रम बनाना होगा
कुपोषण पर काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता सचिन जैन कहते हैं कि इस स्थिति से निपटने सरकार को गंभीर प्रयास करने होंगे। दो साल के लिए पोषण आहार कार्यक्रम को सभी बच्चों के लिए संपूर्ण पोषण आहार कार्यक्रम बनाना होगा, ताकि बच्चों में इम्युनिटी बढ़ सके। उपस्वास्थ्य, प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कर्मियों को तैनात करना होगा जो तत्काल इलाज मुहैया करा सकें। बड़वानी, श्योपुर, आलीराजपुर, मुरैना, गुना जिलों में ज्यादा कुपोषण है वही इंदौर, सागर, मंदसौर, उज्जैन नरसिंहपुर जिलों में कम कुपोषण है।
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