फाइंडिंग में ये तीन बिंदु बनेंगे रिपोर्ट के आधार
1. सहकारी समितियों की ओर से जारी पैसा वापस जमा कराया गया। यह करीब 16 लाख था। यह राशि फर्जी और मृत हितग्राहियों के नाम पर दी। जांच होने पर यह राशि वापस जमा कराई, जबकि पूर्व में बांटी जा चुकी थी। कमेटी ने माना है कि पैसा वापस आना ही अपराध साबित करता है।
2. तत्कालीन महापौर कैलाश विजयवर्गीय के सहयोगी रमेश मेंदोला की नंदानगर सहकारी साख संस्था को पेंशन बांटने का काम दिया गया। कमेटी ने प्रारंभिक रूप से माना है कि यह गलत था, इसमें दबाव-प्रभाव में काम हुआ। 26 संस्थाओं के जरिए गलत पैसा बांटा गया।
3. दास रिपोर्ट और जैन आयोग की रिपोर्ट को दबाया गया। इस पर कार्रवाई नहीं की गई, जबकि मृत और फर्जी नाम पर पैसा देना व राशि वापस जमा होना साबित हुआ। इसमें रिपोर्ट दबाने वाले जिम्मेदार चयनित किए जाएं। 44 हजार लोगों के आवंटन में आधे फर्जी, मृत और दोहराव वाले साबित हुए थे।