लोधी का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन सिंह और पूर्व महाधिवक्ता पीके कौरव ने पंजाब के पूर्व सांसद नवजोत सिंह सिद्धू के मामले का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक अपूरर्णीय क्षति होने पर सजा स्थगित की जा सकती है। उन्होंने कहा कि 31 अक्टूबर को लोधी को सजा सुनाई गई। 4 नवंबर को उनकी ओर से हाईकोर्ट में अपील दायर की गई, लेकिन जल्दबाजी में 2 नवम्बर को ही विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने उनकी सदस्यता समाप्त कर सीट खाली होने का आदेश जारी कर दिया।
वहीं, सरकार की ओर से महाधिवक्ता शशांक शेखर ने तर्क दिया कि सिद्धू का मामला लोधी के मामले से अलग है। बुधवार को सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था।
विधानसभा अध्यक्ष लेंगे बहाली पर फैसला :
विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने कहा कि प्रहलाद लोधी की सदस्यता को लेकर जो भी निर्णय करना होगा वह स्पीकर एनपी प्रजापति ही करेंगे। उन्होंने कहा कि अभी तक विधानसभा सचिवालय में हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी नहीं पहुंची है। एपी सिंह ने कहा कि पहले भी स्पेशल कोर्ट के आदेश पर ही सदस्यता समाप्त करने का निर्णय लिया गया था। महाधिवक्ता की ओर से ऑर्डर की प्रमाणित कॉपी भेजी जाएगी उस पर अध्ययन कर आगे निर्णय लिया जाएगा।
भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष पर लगाए आरोप :
प्रहलाद लोधी को हाईकोर्ट से स्टे मिलने के बाद भाजपा नेताओं ने लोधी की सदस्यता समाप्त करने के विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय को गलत ठहराते हुए उन पर विद्वेशपूर्ण कार्रवाई करने के आरोप लगाए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमको न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था।
विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर विधानसभा और विधायकों के संरक्षक के रूप में नहीं एक पार्टी को राजनीतिक लाभ पहुंचाने यह निर्णय लिया था। जब सजा का फैसला ही स्टे हो गया तो लोधी विधायक के पद पर वे बने रहेेंगे। उन्होंने कहा अध्यक्ष प्रजापति को अब कोर्ट के निर्णय को तत्काल स्वीकार करना चाहिए।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस ने विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को एक राजनीतिक टूल के रूप में उपयोग किया है। कांग्रेस बहुमत में आने के लिए किसी भी स्थिति में जाने को तैयार है। लोधी को स्पेशल कोर्ट ने जमानत के साथ हाईकोर्ट में अपील करने का समय भी दिया था। ऐसी स्थिति में बिना राज्यपाल या उच्च न्यायालय की अनुमति के विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने जल्दबाजी में उनकी सदस्यता समाप्त करने की घोषणा कर दी। अब हाईकोर्ट द्वारा सजा पर स्टे होने से स्वत: ही सदस्यता बहाल मानी जाएगी।
अब आगे क्या हो सकता है :
हाईकोर्ट के फैसले की कॉपी मिलने के बाद विधानसभा अध्यक्ष उस पर विधि विशेषज्ञों से परामर्श करेंगे। जानकारों के अनुसार प्रहलाद लोधी को सदस्यता बहाली के लिए स्पीकर को लिखित आवेदन देना होगा। उस आवेदन पर विचार कर स्पीकर आगे फैसला करेंगे। विधानसभा अध्यक्ष के विचार के लिए कोई समय सीमा तय नहीं है। वे अपने विशेषाधिकार के तहत विचार के लिए कितना भी समय ले सकते हैं। वहीं भाजपा लोधी की विधानसभा सदस्यता की बहाली के लिए दबाव डालने का प्रयास करेगी।
वर्जन :
– सुप्रीम कोर्ट के लोकप्रहरी वाले मामले में दिए गए दिशा-निर्देश के तहत सजा स्थगित होने पर विधानसभा की सदस्यता स्वयमेव बहाल हो जाती है। स्पीकर का आदेश इन निर्देशों के तहत औचित्यहीन है। प्रहलाद लोधी की विधानसभा की सदस्यता बरकरार रहेगी।
-पुरुषेंद्र कौरव, पूर्व महाधिवक्ता
फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी
प्रहलाद सिंह लोधी की ओर से यह कहा गया कि मामला विरल से विरलतम है, लेकिन यह नहीं बताया कि क्यों। इसी वजह से अतीत में भी कई नेताओं को सजा के चलते जनप्रतिनिधि के पद से हाथ धोना पड़ा। हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी।
– शशांक शेखर, महाधिवक्ता