भोपाल. जिस तरह देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बेकाबू हो गया है। हालात लॉकडाउन जैसे बन चुके हैं तो वहीं, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के हालात भी कम चिंतनीय नहीं हैं। शहर में बीते 10 दिनों से लगातार वायु प्रदूषण बिगड़ रहा है। शहर के कई इलाकों का स्तर खराब की श्रेणी में बना हुआ है। हालात ये हैं कि, शहर के अस्पतालों में सांस से संबंधित मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी आ रही है। पीड़ितों में बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं की संख्या अधिक है।
ये हालात सिर्फ इस बार ही नहीं बने हैं, बल्कि पिछले तीन सालों से लगातार प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। अभी तक इस साल शहर का एक्यूआई 177 दिन 100 से उपर रहा। यानि हवा की स्थिति चिंताजनक रही। जबकि पिछले साल ये 10 दिन कम रहा। दो साल पहले जहां दो महीने हवा का स्तर अच्छा रहता था, वो अब घटकर एक महीने पर आ गया है। एक्यूआई का आंकड़ा अच्छे से लगातार कम होकर खराब की ओर बढ़ रहा है।
मध्यप्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़े जाहिर कर रहे हैं कि शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण पर सख्त होकर काम करने की जरूरत है। आने वाले कुछ सालों में स्थिति बेहद चिंताजनक हो सकती है।
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पिछले तीन सालों का वायु प्रदूषण का आंकड़ा
श्रेणी (एक्यूआई स्तर) 2020 2021 2022 (कुल दिन)
अच्छा (0-50) (58) (48) (34)
संतोषजनक (51-100) (106) (106) (75)
मध्यम (101-200) (155) (167) (177)
खराब (201-300) (13) (26) (7)
बहुत खराब (301-400) (6) (17) (2)
गंभीर (>;400) (0) (0) (1)
कुल दिन 338 364 296
(मध्यप्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के प्राप्त आंकड़े)
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पर्यावरण परिसर, टी टी नगर, अरेरा कॉलोनी की स्थिति चिंताजनक
राजधानी में 7 अलग-अलग जगह वायु प्रदूषण की मॉनिटरिंग हो रही है। इसमें सबसे ज्यादा पर्यावरण परिसर, टी टी नगर और अरेरा कॉलोनी का एक्यूआई रहता है। वहीं शहर से सटे हुए मंडीदीप का एक्यूआई भी लगातार खराब की श्रेणी में बना हुआ है।
भोपाल शहर के अलग-अलग 7 इलाकों का एक्यूआई स्तर
पर्यावरण परिसर – 330
टीटी नगर – 252
अरेरा कॉलोनी – 246
हमीदिया रोड – 118
होशांगाबाद रोड – 111
कोलार रोड – 110
गोविंदपुरा – 105
ओपीडी में 30 फीसदी मरीज बढ़े
जेपी हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से ओपीडी में सांस संबंधित रोगों से आने वाले पीड़ितों की संख्या में इजाफा हुआ है। दीपावली के बाद से ही ऐसे मरीज आना शुरू हो गए थे जिन्हें खांसी, जुकाम, सासं फूलना, सांस लेने में कठिनाई आदि समस्या रही। इसमें खराब वायु प्रदूषण के साथ बदलता मौसम भी एक बड़ी वजह है।
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शहर के आसपास जल रही पराली
सूखीसेवनिया, ईटखेडी, अचारपुरा, रातीबड़, नीलबड़ व अन्य इलाकों सख्ती के बावजूद पराली जलाई जा रही है। इससे भी प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
एमपीपीसीबी के रीजनल मेनेजर ब्रजेश शर्मा का कहना है कि, हम एक्यूआई बढ़ने के कारणों को पता लगा रहे हैं। इसे कंट्रोल करने के लिए हमारे प्रयास जारी है। दो दिन छूट्टी होने के कारण अब सोमवार से इस पर काम किया जाएगा।
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