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पितृ पक्ष शुरू, क्या श्राद्ध के इन 15 दिनों में कर सकते हैं खरीदारी? VIDEO

ज्योतिषाचार्य पं. अरविंद तिवारी कहते हैं श्राद्ध पक्ष में श्रद्धा भाव से तर्पण किया जाना चाहिए। इसीलिए इसे श्राद्ध पक्ष कहा जाता है। लेकिन इसके साथ ही कुछ खास बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए…

भोपालSep 29, 2023 / 02:23 pm

Sanjana Kumar

पंद्रह दिवसीय श्राद्ध कर्म की शुरुआत आज से हो चुकी है। पंद्रह दिन का यह पखवाड़ा पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष या फिर महालय कहलाता है। 29 सितंबर शुक्रवार से शुरू हुआ यह पखवाड़ा 14 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगा। माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पृथ्वी पर सूक्ष्म रूप हमसे मिलने आते हैं और उनके नाम से किए जाने वाले तर्पण को वे स्वीकार भी करते हैं। माना जाता है कि श्रद्धा-भाव से तर्पण किया जाए, तो पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। उनके आशीर्वाद से घर-परिवार में सुख शांति बनी रहती है। लेकिन कुछ काम ऐसे हैं जिन्हें करने से आपके पितर आपसे नाराज हो सकते हैं।

ज्योतिषाचार्य पं. अरविंद तिवारी कहते हैं श्राद्ध पक्ष में श्रद्धा भाव से तर्पण किया जाना चाहिए। इसीलिए इसे श्राद्ध पक्ष कहा जाता है। लेकिन इसके साथ ही कुछ खास बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए, जिनमें खरीदारी से लेकर ऐसे कई काम हैं जिन्हें आपको इन दिनों में नहीं करना चाहिए। यहां जानें आखिर क्या है पितृ पक्ष और इन दिनों में क्या करना चाहिए क्या नहीं…

जानिए कब होता है पितृपक्ष ?

पितृपक्ष भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से ही शुरु होकर आश्विन मास की अमावस्या तक पितृपक्ष रहता है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष को ही पितृपक्ष कहा जाता है। भाद्रपद पूर्णिमा को उनका श्राद्ध किया जाता है जिनका निधन वर्ष की किसी भी पूर्णिमा को हुआ हो। शास्त्रों में भाद्रपद पूर्णिमा के दिन देह त्यागने वालों का तर्पण आश्विन अमावस्या को करने की सलाह दी जाती है। वहीं वर्ष के किसी भी पक्ष में जिस तिथि को घर के पूर्वज का देहांत हुआ हो उनका श्राद्ध कर्म पितृपक्ष की उसी तिथि को करना चाहिए।

क्यों मनाया जाता है पितर पक्ष

पं. अरविंद तिवारी बताते हैं कि पितृ पक्ष के इन दिनों में हमारे पितर जो मृत्युलोक गमन कर चुके हैं। वे हमसे मिलने आते हैं। हमारे धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में कहा गया है हैं कि इन दिनों में पृथ्वी लोक के सबसे नजदीक होता है पितर लोक। जहां हमारे पितर निवास करते हैं जिनका पुर्नजन्म नहीं होता है। वो सभी अपने रिश्ते-नातेदारों से मिलने आते हैं। वे चाहते हैं कि नियमित रूप से उनकी पूजा-पाठ की जाए। कैसे किया जाए, इसके लिए ही यह श्राद्ध की व्यवस्था की गई है। श्राद्ध का तात्पर्य ही यही है श्रद्धा से किया जाने वाला कर्म। ये कर्म हैं तर्पण, पिंडदान, ब्राह्मण भोज है। इसके अलावा कुछ जीवों को भोजन कराना भी इस कर्म में शामिल है। ये जीव हैं गाय, कुत्ता, कौआ, चींटी आदि।

भूलकर भी न करें इन चीजों की Shopping

– श्राद्ध पक्ष के पहले दिन कुशा को उंगली में फंसाया जाता है, तभी तर्पण जैसा महायज्ञ किया जाता है।

– ब्रह्मचर्य का पालन करें

– बाल, नाखून नहीं काटने हैं। दाढ़ी नहीं बनानी है।

– पलंग पर नहीं जमीन पर सोना है।

– सुबह सबसे पहले अपने पूर्वजों के निमित्त जल का तर्पण करना है।

– उसके बाद सूर्य नारायण को जल चढ़ाकर ही आप कुछ खा या पी सकते हैं। उससे पहले नहीं।

– योग्य ब्राह्मण को आमंत्रण दें। उन्हें भोजन इत्यादि कराएं। ब्राह्मण के माध्यम से भोजन पितरों तक पहुंचता है।

– भोजन बनाने के बाद सबसे पहला हिस्सा गाय के लिए, एक हिस्सा कौए के लिए, एक हिस्सा कुत्ते के लिए जरूर निकालें।

– पितृ पक्ष में नए कपड़े, सोना, चांदी, बर्तन या नया घर खरीदना वर्जित माना जाता है।

– इन दिनों में आप केवल ब्राह्मण को दान देने के लिए या अन्य दान के लिए ही वस्त्र खरीद सकते हैं।

– नए घर में प्रवेश नहीं कर सकते, मुंडन, विवाह, नया वाहन नहीं खरीद सकते।

– सोना चांदी के सिक्के या बरतन नहीं खरीदने हैं।

– ध्यान रखें कि इन दिनों में इन नियमों का पालन करने से आपके पितर आपसे खुश रहेंगे और जाते-जाते अपनी कृपा बरसाकर जाएंगे।

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ये हैं पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां

– 29 सितंबर 2023 शुक्रवार पूर्णिमा श्राद्ध

– 29 सितंबर 2023 शुक्रवार प्रतिपदा श्राद्ध

– 30 सितंबर 2023 शनिवार द्वितीया श्राद्ध

– 01 अक्टूबर 2023 रविवार तृतीया श्राद्ध

– 02 अक्टूबर 2023 सोमवार चतुर्थी श्राद्ध

– 03 अक्टूबर 2023 मंगलवार पंचमी श्राद्ध

– 04 अक्टूबर 2023 बुधवार षष्ठी श्राद्ध

– 05 अक्टूबर 2023 गुरुवार सप्तमी श्राद्ध

– 06 अक्टूबर 2023 शुक्रवार अष्टमी श्राद्ध
– 07 अक्टूबर 2023 शनिवार नवमी श्राद्ध

– 08 अक्टूबर 2023 रविवार दशमी श्राद्ध

– 09 अक्टूबर 2023 सोमवार एकादशी श्राद्ध

– 11 अक्टूबर 2023 बुधवार द्वादशी श्राद्ध

– 12 अक्टूबर 2023 गुरुवार त्रयोदशी श्राद्ध

– 13 अक्टूबर 2023 शुक्रवार चतुर्दशी श्राद्ध

– 14 अक्टूबर 2023 शनिवार सर्व पितृ अमावस्या

 

पितृ तर्पण के नियम

ज्योतिषाचार्य का कहना है कि पितृ तर्पण करते समय निश्चित नियमों का पालन करना जरूरी है। विधिवत आहुति देना, शुद्ध और सात्विक भोजन का सेवन करना और तपस्या और दान करना चाहिए। पितृ पक्ष में दान करना भी महत्वपूर्ण है। आप अपने पूर्वजों के नाम पर अन्न, वस्त्र, धन, यात्रा या किसी अन्य चीज का दान कर सकते हैं।

किस तिथि में किन पितरों का करें श्राद्ध

* पूर्णिमा तिथि -29 सितंबर 2023
ऐसे पूर्जव जो पूर्णिमा तिथि को मृत्यु को प्राप्त हुए, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष के भाद्रपद शुक्ल की पूर्णिमा तिथि को करना चाहिए। इसे प्रोष्ठपदी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

* पहला श्राद्ध – 30 सितंबर 2023
जिनकी मृत्यु किसी भी माह के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन हुई हो उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की इसी तिथि को किया जाता है। इसके साथ ही प्रतिपदा श्राद्ध पर ननिहाल के परिवार में कोई श्राद्ध करने वाला नहीं हो या उनके मृत्यु की तिथि ज्ञात न हो तो भी आप श्राद्ध प्रतिपदा तिथि में उनका श्राद्ध कर सकते हैं।

* द्वितीय श्राद्ध – 1 अक्टूबर 2023
जिन पूर्वज की मृत्यु किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को हुई हो, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है।

* तीसरा श्राद्ध – 2 अक्टूबर 2023
जिनकी मृत्यु कृष्ण पक्ष या शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन होती है, उनका श्राद्ध तृतीया तिथि को करने का विधान है. इसे महाभरणी भी कहा जाता है।

* चौथा श्राद्ध – 3 अक्टूबर 2023
शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष में से चतुर्थी तिथि में जिनकी मृत्यु होती है, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की चतुर्थ तिथि को किया जाता है।

* पांचवा श्राद्ध – 4 अक्टूबर 2023
ऐसे पूर्वज जिनकी मृत्यु अविवाहिता के रूप में होती है उनका श्राद्ध पंचमी तिथि में किया जाता है। यह दिन कुंवारे पितरों के श्राद्ध के लिए समर्पित होता है।

* छठा श्राद्ध – 5 अक्टूबर 2023
किसी भी माह के षष्ठी तिथि को जिनकी मृत्यु हुई हो, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है। इसे छठ श्राद्ध भी कहा जाता है।

* सातवां श्राद्ध – 6 अक्टूबर 2023
किसी भी माह के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को जिन व्यक्ति की मृत्यु होती है, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की इस तिथि को करना चाहिए।

* आठवां श्राद्ध- 7 अक्टूबर 2023
ऐसे पितर जिनकी मृत्यु पूर्णिमा तिथि पर हुई हो तो उनका श्राद्ध अष्टमी, द्वादशी या पितृमोक्ष अमावस्या पर किया जाता है।

* नवमी श्राद्ध-8 अक्टूबर 2023
माता की मृत्यु तिथि के अनुसार श्राद्ध न करके नवमी तिथि पर उनका श्राद्ध करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि, नवमी तिथि को माता का श्राद्ध करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती हैं। वहीं जिन महिलाओं की मृत्यु तिथि याद न हो उनका श्राद्ध भी नवमी तिथि को किया जा सकता है।


* दशमी श्राद्ध -9 अक्टूबर 2023
दशमी तिथि को जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई हो, उनका श्राद्ध महालय की दसवीं तिथि के दिन किया जाता है।

* एकादशी श्राद्ध – 10 अक्टूबर 2023
ऐसे लोग जो संन्यास लिए हुए होते हैं, उन पितरों का श्राद्ध एकादशी तिथि को करने की परंपरा है।

* द्वादशी श्राद्ध – 11 अक्टूबर 2023
जिनके पिता संन्यास लिए हुए होते हैं उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की द्वादशी तिथि को करना चाहिए। चाहे उनकी मृत्यु किसी भी तिथि को हुई हो. इसलिए तिथि को संन्यासी श्राद्ध भी कहा जाता है।

* त्रयोदशी श्राद्ध – 12 अक्टूबर 2023
श्राद्ध महालय के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को बच्चों का श्राद्ध किया जाता है।

* चतुर्दशी तिथि – 13 अक्टूबर 2023
ऐसे लोग जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो जैसे आग से जलने, शस्त्रों के आघात से, विषपान से, दुर्घना से या जल में डूबने से हुई हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को करना चाहिए।

* अमावस्या तिथि – 14 अक्टूबर 2023
पितृ पक्ष के अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों के श्राद्ध किए जाते हैं। इसे पितृविसर्जनी अमावस्या, महालय समापन भी कहा जाता है।

श्राद्ध से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
– हर व्यक्ति को अपने पूर्व की तीन पीढ़ियों (पिता, दादा, परदादा) और नाना-नानी का श्राद्ध करना चाहिए।

– जो लोग पूर्वजों की संपत्ति का उपभोग करते हैं और उनका श्राद्ध नहीं करते, ऐसे लोगों को पितरों द्वारा शप्त होकर कई दुखों का सामना करना पड़ता है।

– यदि किसी माता-पिता के अनेक पुत्र हों और संयुक्त रूप से रहते हों तो सबसे बड़े पुत्र को हू पितृकर्म करना चाहिए।

– पितृ पक्ष में दोपहर (12:30 से 01:00) तक श्राद्ध कर लेना चाहिए।

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