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इसलिए बढ़ी आमदनी
टैक्स लॉ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एस कृष्णन के मुताबिक, सरकार की आमदनी बढ़ने का कारण ये है कि, सरकार ने एक साल में तीन बार पेट्रोल-डीजल पर करीब 30 फीसदी तक टैक्स बढ़ाया है। ऐसी संभावना है कि, वित्त वर्ष 2020-21 के खत्म होते-होते पेट्रोल-डीजल से सरकार की आय पहली बार 11 हजार 500 करोड़ रुपये के स्तर को भी पार कर जाएगी।
लगातार दो साल से घटती जा रही बिक्री, फिर भी बढ़ रहा मुनाफा
प्रदेश में पेट्रोल-डीज़ल की बिक्री में गिरावट लॉकडाउन की अवधि से ही नहीं बल्कि बीते दो सालों से जारी है। बवजूद इसके सरकार की आमदनी लगातार बढ़ी है। 2019-20 के फायनेंशियल इयर की बात करें, तो उसकी बिक्री में 14 करोड़ ली. कम हुई थी। जबकि, आय 1235 करोड़ रुपये बढ़कर पहली बार 10720 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंची थी। इस बार ये कमी 86 करोड़ लीटर तक पहुंचने का अनुमान है। बावजूद इसके पेट्रोल कंपनियों का मानना है कि, अधिमास के बाद त्योहारों के समय पेट्रोल-डीजल की बिक्री सामान्य हो जाएगी।
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इस तरह बढ़ी आय
साल 2019-20 के फाइनेंशियल ईयर में प्रदेश सरकार 10,720 करोड़ रुपये पेट्रोल-डीजल पर आमदनी हुई थी, जबकि उस साल इसकी बिक्री 7,86 करोड़ लीटर हुई थी। लेकिन, अगर गौर करें 2020-21 के वित्तीय वर्ष पर तो सितंबर माह की 30 तारीख तक सरकार 5 हज़ार करोड़ की कमाई कर चुकी है, जबकि अब तक पेट्रोल-डीज़ल की बिक्री 300.0 करोड़ लीटर ही हुई है। दूसरे लफ्जों में समझें तो, पिछले साल पेट्रोल-डीजल की बिक्री 2.15 करोड़ लीटर प्रतिदिन थी। तब जाकर पूरे साल 7,86 करोड़ ली. बिक्री हुई थी। इस साल औसतन रोजाना 1.5 करोड़ ली. के आसपास बिक्री हो रही है, जो अब तक 300 करोड़ ली. के आसपास पहुंच पाई है।
आश्चर्यजनक बढ़ाेत्तरी
आर्थिक विशेषज्ञ मुकुल शर्मा का मानना है कि, सरकार ने पिछले एक साल में पेट्रोल-डीजल पर 30 फीसदी टैक्स बढ़ाया है। यहीं वजह है कि, बिक्री में भारी कमी होने के बावजूद प्रदेश का राजस्व बढ़ोतरी हासिल कर रहा है। जानकारों की मानें तो ये बिल्कुल आश्चर्यजनक है। क्योंकि इस दौरान देश के अन्य राज्यों में आय काफी कम ही रही है। सरकार को दूसरे मदों से आय बढ़ाकर पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाने पर विचार करना चाहिए।
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डीजल की बिक्री में तेजी से आ रही गिरावट
ट्रांसपोर्टर्स डीजल पर टैक्स घटाने की मांग कर रहे हैं। ट्रांसपोर्ट्स कमल माखिजानी के मुताबिक पेट्रोलियम पदार्थाें की कुल बिक्री में डीजल का हिस्सा 60% है। परिवहन विभाग के अनुसार प्रदेश में 1.18 करोड़ वाहन पंजीकृत हैं। हर साल 15% नए वाहन आते हैं। इस आधार पर पेट्रोल-डीजल की खपत भी बढ़नी चाहिए। लेकिन, भाव ज्यादा होने से खपत घट रही है। यहां डीजल महंगा है, इसलिए ज्यादा ट्रांसपोर्टर दूसरे राज्यों से डीजल ले रहे हैं।
एक साल में पेट्रोल पर 9 रुपये और डीजल पर 8 रुपए बढ़ चुका है टैक्स
-पेट्रोल