समिति सरोगेसी आवेदन राज्य स्तर पर प्राप्त होते ही तकनीकी व विधिक विशेषज्ञों का अभिमत प्राप्त कर, सरोगेसी की अनुमति के संबंध में तुरंत निर्णय लेगी।
आदेश जारी कर दिए गए
उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल की अध्यक्षता में मंगलवार को राज्य एसिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी एवं सरोगसी बोर्ड की बैठक हुई। शुक्ल ने प्रदेश में अधिनियम के क्रियान्वयन की समीक्षा की। इस दौरान बैठक में समिति गठित करने का फैसला लिया गया और आदेश जारी कर दिए गए। समिति में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य, आयुक्त आदि के साथ तकनीकी और विधि विशेषज्ञ भी शामिल रहेंगे। आवेदन पर समिति कानून के दायरे में विचार कर सरोगेसी की अनुमति देने या नहीं देने का फैसला लेगी। अभी बोर्ड की बैठक हर चार माह में करने का प्रावधान है।
ये भी पढ़ें: एमपी में बनेगा नया ‘कॉरिडोर’, ली जाएगी 17 गांवों की जमीन बोर्ड ने प्रदेशभर से आए सरोगेसी आवेदनों पर विचार कर फैसला लिया। दो प्रकरणों में अनुमति दी गई। बैठक में बोर्ड की मेबर और विधानसभा सदस्य प्रियंका मीणा, पीएस स्वास्थ्य संदीप यादव, आयुक्त स्वास्थ्य तरुण राठी आदि मौजूद थे।
क्या है सरोगेसी
किसी कारण से संतानोत्पत्ति से वंचित दंपती किसी अन्य तलाकशुदा या विधवा महिला की मदद से संतान पा सकते हैं। इस तकनीक में आइवीएफ पद्धति से भ्रूण तैयार कर सरोगेट मां के गर्भाशय में स्थापित कर दिया जाता है। सरोगेट मदर ही उसे जन्म देती है। सरोगेसी कानून के तहत अविवाहित लोग इस तकनीक से बच्चा नहीं पैदा सकते। इस संबंध में सरोगेसी रेगुलेशन एक्ट 2021 लागू है।