पटवारी भर्ती घोटाले (patwari bharti scam) के खिलाफ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (High court) में याचिका दायर करने के साथ ही सोमवार को उम्मीद्वारों ने प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों में कैंडल मार्च निकाला और पटवारी भर्ती रद्द किए जाने की मांग की है। इंदौर में नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन के बैनर तले अभ्यर्थियों ने इंदौर के भंवरकुंआ में कैंडल मार्च निकाला और 28 फरवरी बुधवार को भोपाल में पटवारी भर्ती के खिलाफ महाप्रदर्शन का आह्वान किया है।
एमपीईएसबी भोपाल की ओर से आयोजित पटवारी भर्ती परीक्षा में टोटल 9.78 लाख उम्मीदवार शामिल हुए थे। जून 2023 में परीक्षा का रिजल्ट घोषित किया गया। रिजल्ट घोषित होते ही खुलासा हुआ कि मध्य प्रदेश के 10 टॉपर्स में से 7 टॉपर्स ने ग्वालियर के एनआरआई परीक्षा केंद्र में बैठकर परीक्षा दी थी। इस केंद्र से कुल 114 उम्मीदवारों ने परीक्षा पास की। त्यागी सरनेम वाले उम्मीदवारों के नाम के संयोग की बात हो या फिर मेडिकल सर्टिफिकेट के मामले का खुलासा… स्थिति ये हुई कि विधानसभा चुनाव से पहले सरकार पर सवाल उठाए जाने लगे तो, तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने परीक्षा की प्रक्रिया को स्थगित करके जांच के आदेश दे दिए। जिसके बाद जांच कमेटी बनाई गई और तय समय सीमा पर जांच सौंपने के आदेश दिए गए।
पटवारी टॉपर का एक इंटरव्यू भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था। इसमें एक मीडियाकर्मी पटवारी टॉपर से सामान्य ज्ञान के कुछ सवाल करते नजर आए थे। इस वीडियो में देखा गया था कि पटवारी भर्ती की टॉपर मध्य प्रदेश की राजधानी, प्रदेश में जिलों की संख्या और नर्मदापुरम संभाग में कौन से जिले हैं, इस तरह के बेसिक सवालों के जवाब भी नहीं दे पाई थी। इस वीडियो के बाद ही पटवारी भर्ती को लेकर कई सवाल उठ गए थे।
यही नहीं कई उम्मीदवारक अब भी मांग कर रहे हैं कि जितने भी टॉपर्स हैं, उनका मीडिया के सामने ओपन ट्रायल कराया जाना चाहिए। उनकी योग्यता प्रदर्शित होनी चाहिए। मध्यप्रदेश में ग्रुप 2 सब ग्रुप 4 (पटवारी) परीक्षा परिणाम में घोटाला हुआ है। परीक्षा परिणाम में टॉप 10 में से 7 छात्रों का परीक्षा केंद्र एनआरआई कॉलेज ग्वालियर है। 9000 अभ्यर्थियों में से अधिकतर चयनित अभ्यर्थियों का परीक्षा केंद्र एनआरआई कॉलेज ही था।
मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल में पटवारी भर्ती परीक्षा में पहली बार ऐसा नहीं है कि किसी परीक्षा में गड़बड़ी सामने आई है, बल्कि ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है। कृषि विस्तार, शिक्षक भर्ती, कांस्टेबल भर्ती ऐसी गड़बडिय़ों के उदाहरण बनी हैं। पटवारी भर्ती परीक्षा ऐसी है जिसमें पूरी तरह से भ्रष्टाचार किया गया है। कभी सर्वर डाउन होना, गलत प्रश्न, गलत रिजल्ट जारी करना जैसी त्रुटियां कर्मचारी चयन मंडल करता आ रहा है, लेकिन सरकार ने इस पर गंभीरता से ध्यान ही नहीं दिया है। ऐसी स्थिति में मध्य प्रदेश के लाखों बेरोजगार युवाओं के साथ मध्यप्रदेश चयन आयोग खिलवाड़ कर रहा है।
पटवारी भर्ती परीक्षा की जांच करने वाले जस्टिस वर्मा की जांच रिपोर्ट का फायदा 9000 उम्मीदवारों को मिला, लेकिन 9 लाख उम्मीदवार सरकार से नाराज हो गए। नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन (एनईवाययू) के बैनर तले उम्मीदवारों की लामबंदी हो रही है। यह मामला विधानसभा में भी उठाया जा चुका है। लोकसभा चुनाव से पहले लगभग 2 लाख युवा प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं। यूनियन को मध्य प्रदेश के कई ऐसे कोचिंग सेंटर का समर्थन है, जहां पटवारी परीक्षा में फेल हुए उम्मीदवार अभी भी पढ़ रहे हैं।
नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन के राष्ट्रीय कोर कमेटी सदस्य रंजीत किसानवंशी ने आरोप लगाया कि ‘सरकार जांच के नाम पर शिक्षा के दलाल और माफिया को बचाने का काम कर रही है। सरकार जांच रिपोर्ट जारी करने से क्यों पीछे हट रही है?’ उनका कहना है कि ‘जिस भर्ती में 40 से 50 प्रतिशत घोटाला हुआ है, उसमें सरकार पिछले दरवाजे से फर्जीवाड़ा करने वालों को संरक्षण देने का काम कर रही है। अब मध्य प्रदेश का छात्र व्यापम के दलालों और शिक्षा के माफियाओं पर जब तक कार्रवाई नहीं होगी, तब तक पीछे नहीं हटेगा, अब यही हमारा नारा है।’