देश में डेटा लीक की घटनाएं आम हैं लेकिन डेटा सुरक्षा के लिए जिम्मेदार कंपनियां इसके प्रति लापरवाह हैं। व्यक्तिगत डेटा संरक्षण कानून के बावजूद लोग निजी डेटा बेच रहे हैं। हालात की गंभीरता इसी से जाहिर होती है कि भारत में 70 प्रतिशत कंपनियां डेटा की सुरक्षा पर खर्च करने से बेचती हैं।
विदेशों में कंपनियां अपने आइटी बजट का 20 प्रतिशत तक साइबर सुरक्षा पर खर्च करती हैं, जबकि भारतीय कंपनियां महज 5-10 प्रतिशत खर्च करती हैं। ‘पत्रिका’ के रक्षा कवच अभियान के तहत यह पड़ताल की गई है कि आखिर खामियां क्या-क्या हैं, जिनकी वजह से बेतहाशा साइबर अपराध बढ़ रहे हैं और इस गिरोह के सरगना भी पकड़ से बाहर हैं।
हमने विशेषज्ञों से यह समझने की कोशिश की। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ने डिजिटल गिरफ्तारी, सिम कार्ड और संदिग्ध आइडी ब्लॉक करने जैसे कुछ कदम तो उठाए हैं, लेकिन ये सतही उपाय हैं।