शर्त रखी कि नाम, पता, फोटो उजागर नहीं होनी चाहिए। एक ठग जर्जर मकान में ले गया। घंटाभर बात की। बोला-155 गांव वाले करमाटांड में औसतन ठगी के रोज रुपए 10 लाख आते हैं। पूरे क्षेत्र में 10 करोड़ आते हैं।
वहीं, छठी पास दूसरे ठग ने जामताड़ा से करमाटांड के बीच कच्चे रास्ते पर उतरने कहा। दो किमी जंगल में बढ़े तो एक जगह इंतजार को बोला। आधे घंटे बाद मुंह पर कपड़ा बांधे आया, कहा- 10 मिनट हैं, पूछिए। अब मैं इस धंधे में नहीं हूं। पैसा कमाया, पर परिवार बिखर गया, इसलिए काम छोड़ चुका हूं।
एक ठग से हुई बातचीत ये अंश बताते हैं.. आखिर कैसे काम करते हैं ठग?
Q. आप लोग कैसे काम करते हैं? A. कॉरपोरेट तरीके से काम होता है। हर काम के लिए अलग लोग हैं। इसी के आधार पर पैसे मिलते हैं। सिम कार्ड, बैंक खाते उपलब्ध कराने वाले, पैसे पहुंचाने वाले, गांव की रखवाली करने वाले, डेटा देने वाले, सबकी अलग जिम्मेदारी है। Q. सिम कार्ड कहां से लाते हैं? A. 90 फीसदी सिम कार्ड बंगाल के अलग-अलग जिलों से आते हैं। सप्लाई के लिए अलग लोग हैं। हर सिम के 2000 रुपए लगते हैं। एक बार ट्रांजेक्शन कर सिम तोड़ देते हैं।
Q. ठगी के पैसे का क्या होता है? A. पैसे ट्रांसफर करने के लिए बैंक खाते की जरूरत होती है। इसे अलग टीम उपलब्ध कराती है। बंगाल, ओडिशा, झारखंड के बैंक खाते मिलते हैं। 1-1 आदमी 100-100 खाते रखता है। राशि ट्रांसफर होने के बाद एटीएम से निकालकर ठगी करने वालों को देते हैं। खाते उपलब्ध कराने वालों को 30% कमीशन बाकी 70% राशि कैश में ठगी करने वालों को देते हैं। ट्रांजेक्शन होने के दो घंटे के अंदर उनके घर तक 70% राशि पहुंच जाती है। वह साथियों में बांटता है।
Q. इतना पैसा कहां खर्च करते हैं? A. हर घर में पैसे मिल जाएंगे। जब चाहेंगे एक-दो करोड़ दे देंगे। यहां यह सभी के लिए आम बात है। अधिकतर लोगों ने जमीन और ज्वेलरी में पैसे लगाए हैं। जामताड़ा में पहले जमीन का भाव 30 से 40 हजार रुपए था, अब 5 लाख रुपए हो गया। लोग जामताड़ा में घर बनवा रहे हैं। आपको सड़क के दोनों किनारे नए बन रहे घर दिखे होंगे। सोना भी खरीदते हैं।
Q. पैसे कहीं निवेश करते हैं क्या? A. जहां कैश से काम होता है, निवेश करते हैं। जमीन रजिस्ट्री कैश से कराते हैं। ब्याज पर पैसे देते हैं। Q. काम का कोई तय समय है?
A. ऑफिस आवर में सुबह 10 से शाम 6 बजे तक काम होता है। रविवार को छुट्टी। मटन बनता है। ताश खेलते हैं। रिचार्ज हो जाते हैं। Q. पकड़े जाने का डर नहीं लगता?
A. जल्दी कोई पकड़ में नहीं आता। यदि पकड़ में आ गया तो 3 महीने में छूट जाएगा। बाहर आने के कई रास्ते हैं। मदद के लिए लोग रहते हैं। दूसरे राज्यों में भी पकड़े जाने पर बेल मिल जाती है। जमानत पर छूटकर आने के बाद फिर हम अपना काम करने लगते हैं। पढ़े-लिखे लोगों को भी टारगेट करते हैं।
Q. फर्राटेदार अंग्रेजी और हिन्दी कैसे बोलते हैं? A. काम करते-करते सीख जाते हैं। हमारे साथ ग्रेजुएट, 12वीं पास, 10वीं फेल भी हैं। यूट्यूब से अंग्रेजी सीखते हैं। यहां के लड़के कई राज्यों में काम करने गए थे। वहां की भाषा सीख गए।
Q. करमाटांड के 155 गांवों में से कितने में साइबर ठगों के रैकेट हैं? A. 25 से 30 गांव आदिवासियों के हैं। इन्हें छोड़कर सभी में ठगी का काम चल रहा है। एक गांव में ठगी से रोज औसतन 10 लाख रुपए आते हैं। इस हिसाब से क्षेत्र में रोज 10 करोड़ रुपए से अधिक आ रहे हैं।
Q. सुरक्षा के क्या इंतजाम हैं? A. घर की औरतें गांव के बाहर गाय और बकरी चराते दिखी होंगी। वे सूचना देती हैं। गांव में कोई चार पहिया वाहन या तीन-चार बाइक साथ दिखने पर तत्काल सूचना भेजती हैं। पुलिस लगातार कार्रवाई करती है, सभी लड़के बाहर सोते हैं। अभी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
Q. इतनी आलीशान कोठियां बनी हैं। कई में तो ताला लटका है। ऐसा क्यों? A. देखिए… साइबर ठगी से खूब पैसा आता है। कैश कहां खपाएं, ये तक नहीं मालूम होता है। इसलिए सबसे पहले आलीशान घर बनवाते हैं। कई लोग हैं जिन्होंने तीन-तीन घर बनवा रखे हैं। अब किसी केस में फंस गए तो जेल में हैं। या फिर रोज पुलिस की रेड से बचने के लिए अन्य जगहों पर पलायन कर चुके हैं। इसलिए उन्होंने अपने घर पर ताला लगा दिया है। ऐसे एक नहीं, पूरे गांव में सैकड़ों आलीशान घर आपको देखने को मिल जाएंगे।