अभी नगर निगम भोपाल में 85 वार्ड हैं। इसमें से 56 पार्षद भाजपा के हैं। इन 85 वार्डों को दो भागों में बांटकर दो निगम बनाने की कवायद की जा रही है। नगर निगम प्रशासन ने जोनल अधिकारियों को एक फार्मेट जारी किया है, जिसमें वार्ड और आबादी के साथ कुछ अन्य जानकारियां मांगी है। ये वार्ड बंटवारे के लिए काम आएगी। अभी दो नगर निगमों में सुझाव आपत्तियों का दौर खत्म हुआ है। यदि दो निगम भी बनते हैं तो भी संबंधित क्षेत्रों के बड़े नेता महापौर बनने पार्षद के तौर पर अपनी जमीन खड़ी करेंगे।
हालांकि भाजपा अब तक कोशिश कर रही है कि महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से ही हो। महापौर आलोक शर्मा का कहना है कि वे इस पूरे मामले में हस्तक्षेप करने के लिए एक बार फिर से राज्यपाल से सभी विधायकों को साथ लेकर मुलाकात करेंगे।
नौ पार्षद लगातार दो से अधिक बार चुने गए
मौजूदा परिषद के 85 पार्षदों में महापौर को छोड़ दें तो नौ पार्षद दो बार से अधिक यानि बीते दस साल से पार्षद पद पर बने हुए हैं। इनमें से कुछ इससे भी अधिक समय से पार्षद हैं। अब जब पार्षद को महापौर बनने का मौका मिल रहा है तो ये दावेदारी करते हुए बड़े नेताओं की राह में दिक्कत खड़ी कर सकते हैं।
दो निगम तो भोपाल में ज्यादा उलझन, कोलार में नया नेतृत्व
दो नगर निगम बनें तो महापौर की लाइन वाले नेताजी की अधिक संख्या भेापाल नगर निगम में ही होगी। मौजूदा स्थितियों में कोलार, करोंद, भानपुर, गोविंदपुरा, अयोध्या बायपास की तुलना में भोपाल नगर निगम वाले दक्षिण पश्चिम विधानसभा, उत्तर विधानसभा, मध्य विधानसभा, नरेला में दावेदार अधिक नजर आ रहे हैं।